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Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (क्यों है बेचारा यह दिल)

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (क्यों है बेचारा यह दिल)

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |

क्यों है बेचारा यह दिल

अकेला है तू ,नहीं मिल रहा है कोई,
बस खुद को गुम पाया,जब नज़र दौड़ाई |

सब कोई खुश हैं ,मस्त है हर कोई,
उसे भी दुःखी पाया,जब उस ने नज़र झुकाई |

घर से लाई रोटियों को खा रहा था कोई,
पास गया तो पाईं उस की भी आँखें रोईं,

गम दबा रहा था कोई ,हँसी में,
कोई भुला रहा था गम ,बातें कर कर,
कोई चुप सा बैठा था कोने में,
तो किसी की गुजर रही थी सोने में |

बस यही है सफर यही है कहानी,
जिसे सुनोगे हर दूर जाने बाले कि जुवानी |


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