Hindi Kavita |हिन्दी कविताएँ (माँ)
दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम को फिल्मी बता रहे हैं |
माँ
मेरे हँसते चेहरे को देख, वो भी खिलखिला देती है |
जब भी मैं दु:खि होता हूँ, वो भी रो देती है ||
डाँटती है जब मुझे, अन्दर ही अन्दर रोती है |
शरारतों को मेरी देख, मुस्कुरा तू देती है ||
जो चोट खा जाऊँ मैं, दर्द तू ले लेती है |
माँ तो माँ है, मुश्किल में साथ देती है ||
मेरे हँसते चेहरे को देख, वो भी खिलखिला देती है |
जब भी मैं दु:खि होता हूँ, वो भी रो देती है ||
बूढ़ों का मान, सबका सम्मान |
मेरे लिए तू सारा जहान ||
दूसरों कि मदद करना मैने तुझ से सीखा है |
दूनिया में कैसे जीना तुझ से ही सीखा है ||
किसी की मदद बिन सोचे वो करती है |
जब भी मैं दु:खि होता हूँ, वो भी रो देती है ||
बिन माँ जिन्दगी नहीं ,बिना उस के नहीं ज्ञान |
माँ बनाई, क्योंकि हर जगह नहीं हो सकता भगवान |
उसकी डाँट भी प्यार ही मुझे लगती है |
जब भी मैं दु:खि होता हूँ, वो भी रो देती है ||
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