Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ ( शहीद )
दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम को फिल्मी बता रहे हैं |
शहीद
फूल जो बीजा था माँ ने मेरी |
खिलते ही उसे अर्पण कर दिया ||
पता नहीं क्या असर था, परवरिश का |
जो अपने को उसने देश के नाम कर दिया ||
ना मुश्किलें देखीं ना देखी तकलीफ |
रहे हमेशा दुश्मनों के करीब ||
माँ है दूर, भाई से दूर |
बहन की राखी कलाई से दूर ||
जो भी किया देश के लिए किया |
पता नहीं क्या असर था, परवरिश का |
जो अपने को उसने देश के नाम कर दिया ||
आज में जीता हूँ, कल का ना पता |
मिल भी पाऊँगा परिवार से ना पता ||
ना भी मिल पाया तो इक बात जरूर होगी |
देश के लिए मेरी जान तिरंगे में लिपटी होगी ||
जब तक जीया देश के लिए जिया |
पता नहीं क्या असर था, परवरिश का |
जो अपने को उसने देश के नाम कर दिया ||
जिस राह से गुज़रूँगा, फूल बिछाएगी दुनिया |
मेरी कुर्बानी को देख, रोएगी दुनिया ||
देश के लिए जान कुर्बान करना ,
आसान नहीं जानेगी दुनिया |
जो लिया वो देश को ही दे दिया |
पता नहीं क्या असर था, परवरिश का |
जो अपने को उसने देश के नाम कर दिया ||
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