Juices for the soul
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शुक्रवार, 1 जनवरी 2021
शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020
बुधवार, 9 दिसंबर 2020
क्यों बेचारा है ये दिल
क्यों है बेचारा यह दिल
अकेला है तू ,नहीं मिल रहा है कोई,
बस खुद को गुम पाया,जब नज़र दौड़ाई |
सब कोई खुश हैं ,मस्त है हर कोई,
उसे भी दुःखी पाया,जब उस ने नज़र झुकाई |
घर से लाई रोटियों को खा रहा था कोई,
पास गया तो पाईं उस की भी आँखें रोईं,
गम दबा रहा था कोई ,हँसी में,
कोई भुला रहा था गम ,बातें कर कर,
कोई चुप सा बैठा था कोने में,
तो किसी की गुजर रही थी सोने में |
बस यही है सफर यही है कहानी,
जिसे सुनोगे हर दूर जाने बाले कि जुवानी |
रविवार, 6 दिसंबर 2020
क्या माँ के दिल को तोड़ना सही है ?जिस ने पाला जन्म दिया उसे दुःखी करना सही है ?
मेरी माँ
माँऊ मेरिएँ प्यारा नै है पालेआ,
रोंदे जो सदा संभालेया,
दुःख मेरे ,अपने दिला च लई,
खुशियाँ नै सदा सँवारेआ |
ताहली जे क्ल्ला हुँदा,
माँऊ दे चरणा च बैंदा,
माऊ दे गलाणे पर,
केड़े भी दुःखाँ जो सैंदा |
मैं हुँदा दुःखी ,
आँसू माऊ दे निकलदे,
मेरे जख्म दर्द माऊ जो दिन्दे,
फुल्लाँ जो मिन्जो देई ,
कण्डे माँ लई लैंदी,
माँ नी हुन्दी ताँ ,दुनिया कियाँ रैंदी |
लोग गाँव की तरफ किस कारण लौट रहे ,वह क्या है जो उन्हें गाँव बापिस ले कर आ रहा ?
ग्राएँ दी कहाणी
भ्यागा उट्ठी दातण किती,
नहाई धोई पूजा किती,
तुलसिया जो पाणी देई,
चुल्हे गोलू दित्ता रसोई|
वाह वाह ,क्या ग्राँ दी रीत बणाई,
सारेयाँ दा साथ,सारेयाँ संग प्रीत नभाई ||
छुलाणी च दही छोली ता,
खूब सारा मक्खण कड्डी ता,
भ्यागा भ्यागा गोडें जाई,
मही दा सारा दुध कड्डी ता |
वाह वाह ,क्या ग्राँ दी रीत बणाई,
सारेयाँ दा साथ,सारेयाँ संग प्रीत नभाई ||
दरातिया लई घाए जो जाणा,
दहिए कन्ने फुल्का खाणा,
प्यारा नै रैहणा,प्यारा नै गलाणा,
हत्थ बटाणा सारेयाँ नै जाणा,
वाह वाह ,क्या ग्राँ दी रीत बणाई,
सारेयाँ दा साथ,सारेयाँ संग प्रीत नभाई ||
ग्राएँ नी छड्डी सकदा,ग्राएँ ते दूर नी रही सकदा,
ग्राएँ दी रोटी ,ग्राएँ दा पाणी,
ग्राएँ दी महानता कुन्नी जाणी ||
शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020
Chand Shyari
Chand Shyari
चाँद शायरी
1
चाँद को देख रहा हूँ ,चाँदनी बिछड़ी सी है |
अंधेरी रात में रोशनी बिखरी सी है |
चाँद बेचारा बुझा सा है ,
आज कहानी बिसरी सी है ||
2
रात में बाहर निकला,
दिन सा लग रहा है,
आज चाँदनी में नहा रहा है चाँद,
दिल सा लग रहा है|
चाँद था चाँदनी के आगोश में ,
तभी चाँद खिला सा लग रहा है |
3
चाँद ज्यों-ज्यों चढ़ रहा आकाश में,
यादें ले रहीं मुझे आगोश में |
तेरे साथ कही बैठा था ,
एसी ही एक चाँदनी रात में |
तुझ को देख रहीं थीं नज़रें,
कुछ तो बोल रहीं थी नज़रें,
नज़रों के सागर में गोते लगा,
कुछ तो ढूँढ रही थी नजरें ||
गुरुवार, 3 दिसंबर 2020
जीवन का सफर
जीवन का सफ़र
जीवन के सफर में चलता चला गया ,रुका नहीं थका नहीं बहता चला गया ,
दर्द भी रहे ,रहीं खुशियाँ भी,
अपने भी रहे ,देखी दुनिया भी ,
जीतता भी रहा ,हुआ कभी बिफल,
क्या करेगा,कैसा रहेगा यह जीवन का सफ़र ||
कुछ दूरियाँ रहीं,रहीं नजदीकियाँ भी,
कुछ सोचें भी रहीं,रहीं चिंताएँ भी ,
बहुत काम किया,रहा आराम भी ,
सफर बीतता गया,न मिला विराम भी ,
कब तक रहेगा,कब खत्म होगा यह सफ़र,
क्या करेगा,कैसा रहेगा यह जीवन का सफ़र ||
एक छूटा तो दूसरा मिलता गया,
उधड़े धागों को लगातार सिलता गया,
एक तरफ से संभलता था,
दूसरी से बिखरता चला गया,
क्यों जिन्दगी रहती है तितर बितर,
क्या करेगा,कैसा रहेगा यह जीवन का सफ़र ||
मेरी लाड़ी
मेरी लाड़ी
लग्गी नौकरी होया जवान,
बयाही ता मुन्डू,जित्या जहान |
लाड़ी मेरी बड्डी कपत्ती,
भयागा छोड़ें उट्ठी नी सकदी,
हाखीं रैंदियाँ त्योरी व्योरियाँ,
पता नी कुई ते लै आँदे एड़ी छोकरियाँ |
वाह वाह वाह वाह मेरी लाड़ी,
जानी ते प्यारी मेरी लाड़ी,
सारेयाँ ते छैल मेरी लाड़ी ||
रोटी बणाँदी खाँदी जानी,
चाह तिसा जो बणाणा नी भाँदी,
खूने पींदी,दमागे खाँदी,
कुछ बोलेआ ताँ पटगदी जाँदी,
वाह वाह वाह वाह मेरी लाड़ी,
जानी ते प्यारी मेरी लाड़ी,
सारेयाँ ते छैल मेरी लाड़ी ||
बजारे जाँदी खुश रैंदी,
घुमणे फिरने च मजे च रैंदी,
आराम करना बड्डा भाए,
बस उठणेओं कोई ना गलाए,
वाह वाह वाह वाह मेरी लाड़ी,
जानी ते प्यारी मेरी लाड़ी,
सारेयाँ ते छैल मेरी लाड़ी ||
साथी है मेरी,राह है मेरी,
मेरिआ माऊ दी सेवा करे भतेरी,
कराँदी पढ़ाई बच्चेयाँ दी,
चिंत्ता करे रिश्तेआँ दी|
दूजे कुसी जो जबाब नी दिन्दी,
पहाड़ी भी जाणदी,कन्ने जाणदी हिन्दी,
वाह वाह वाह वाह मेरी लाड़ी,
जानी ते प्यारी मेरी लाड़ी,
सारेयाँ ते छैल मेरी लाड़ी ||
जिन्दगी क्या-क्या नहीं दिखाती ???
जिन्दगी क्या-क्या नहीं दिखाती
आज का यह लेख खासकर लड़कों के लिए है |वो लड़के जो जिन्दगी से खुश भी हैं और नाराज़ भी |वो जो पता नहीं कर पा रहे, क्या चाहते हैं,क्या नहीं ,जिन्दगी बीत रही पर फैंसला मुश्किल हो रहा है कि पैसे कि जरूरत है या परिवार की |
जिन्दगी हमें क्या क्या नहीं दिखाती :
तो दोस्तो दूसरों को मत देखो माँ कि ममता,बहन के प्यार व पत्नी व बच्चों के लगाव के बीच भी आप तरक्की कर सकते हो ,अपने चारों ओर नज़र दौड़ाओ,जो खुश है ,सफल है ,क्या वो परिवार से दूर है |आप जब देखोगे तो यह पाओगे, जिस के पास सब है वह न तो परिवार से दूर है और न तो दुःखी है |
दोस्तों फैंसला आसान है ,सोच बदलो,कुछ देर अलग बैठकर सोचो क्या कर रहे दूसरे जो आप से नहीं हो रहा |आप सिर्फ दूसरे कि खुशहाली देखकर चल देते हो ,पर यह नहीं देखते कि उस ने एेसा क्या किया जो वह घर पर होते हुए और परिवार के बीच भी खुश व सफल है |
चुने सही उदाहरण :
फौजी को तो छोड़ ही देना जो पूरी जिन्दगी एक साधू का जीवन जीता है ,न परिवार साथ ना कोई ठिकाना |उस की जिन्दगी तो बस बीतती है सीटी,गालिओं और गोली कि आवाज़ में |पूरी जिन्दगी सफर पर रहता है वो,दिल पर पत्थर नहीं शोले रखना पड़ते हैं उसे |पर यह बात भी सत्य है कि फौजी के पास देश सेवा के सिवा कुछ गर्व करने को नहीं होता ना तो पैसा होता है ना परिवार (हमेशा परिवार से दूर ही तो रहता है वो ) तो फौजी को तो छोड़ ही देना |पर आप में देश सेवा का जज़वा है तो दिल पर शोले रख ,दिल की सब इच्छाएं कामनाएँ मार बस देश सेवा के बारे में ही सोचो |
अब आप ने अपने चारों तरफ तो देख ही लिया फौजी बनना है तो सब छोड़ना होगा और देश सेवा का ही सोचना होगा तथा सफल बनने के लिए अलग सोच ,थोड़ी सी मेहनत और विश्वास की ही जरूरत है |आप क्या नहीं कर सकते सफल दुकानदार,ठेकेदार,व्यवसायी,बैंक कर्मी या अध्यापक क्या क्या नहीं है पर सब से ज्यादा पाने कि लालसा तुम्हें घर परिवार से भी दूर कर रही है
क्या मिलेगा क्या नहीं :
तो सोचो मत, सब मिलेगा, बस थोड़ी सी मेहनत कर लो ,सोच बदल लो |नहीं जाना होगा घर से दूर ओर न ही दुःख झेलना होगा |कोई कला विक्सित करो कोई काम सीखो ,मेहनत करो सब मिलेगा |
चारों तरफ देख रहा,न ज़मीन मिल रही और ना आसमाँ |
बहुतेरे हैं दुःख संसार में ,अपनों का हल ढूँढ रहा कहाँ |
नदी की धारा बोल रही ,कहाँ से चला तू पहूँच चुका तू कहाँ |
शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020
आसमां छू लेंगें
आसमां छू लेंगें
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Photo by Nathan Cowley from Pexels
कभी सोचा आसमां छू लेंगे ,
कभी सोचा जहान जीत लेंगे ,
कभी सोचा आसमां छू लेंगे ,
कभी सोचा जहान जीत लेंगे ,
बस सोच सोच में ही रह गई ,
किसी का समय किसी की उम्र गुजर गई |
दूसरे की झोली ज्यादा रही ,
अपनी कम ही रही ,
दिन रात की सोच में जिंदगी दफ़न सी रही ,
कुछ किया भी नहीं ,
जिंदगी जिया भी नहीं ,
कहीं समय ,उम्र खत्म हो गयी कहीं ||
रविवार, 25 अक्तूबर 2020
ना जाने किस के लिए
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Photo by Kaique Rocha from Pexels |
ना जाने किस के लिए
जमाने भर से लड़ रहा ,
ना जाने किस के लिए |
धूप छाँव की परवाह ना कर रहा ,
ना जाने किस के लिए |
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Photo by Frederico Erthal from Pexels |
मेरे होने से भी सब है ,
ना होने से भी सब होगा |
हर इच्छा को दबा रहा ना जाने किस के लिए ||
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Photo by Tom Swinnen from Pexels |
कुछ खुशियाँ हैं मेरी ,
कुछ गम भी होंगे |
खुशियाँ परे रख ,सब गम सह रहा ,
ना जाने किस के लिए |
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Photo by Artem Beliaikin from Pexels |
कभी तो छाँव होगी ,
जहाँ धुप है अभी |
किसी आशा में चल रहा,
ना जाने किस के लिए |
बुधवार, 24 जून 2020
साहब खिलाफ है |
साहब खिलाफ है |
खिलाफ है साहब अगर,तो क्या है |
जीवन भर का नाम थोड़े ही है ||
जो पाएगा हमी से पाएगा |
है तो इन्सान ही, हैवान थोड़े ही है ||
कुछ पल काटने आया है, सुख के |
दिखता है, मगर परेशान थोड़े ही है ||
हवाओं में वो भी टिक नहीं पाएगा |
बादल है, ब्रहमाण्ड थोड़े ही है ||
जब लगेगी आग तो अपने ही पाओगे पास |
यह प्यार है, अधिकार थोड़े ही है ||
बहेंगे आँसू टपकेगा लहू |
उस के ना बहें,वो चट्टान थोड़े ही है ||
जुबान है बुरी, खानदान का प्रदर्शन है |
सब को बाँटा जाए, वह ज्ञान थोड़े ही है ||
कुँए से बाहर छटपटा जाएगा |
मछली है, मगर थोड़े ही है ||
मेरा कुसूर क्या था??
मेरा कुसूर क्या था??
हर किसी के दर्द को समझा अपना,
सब छोड़ कर्म को समझा अपना |
फिर ना जाने मैं गलत क्या था,
तुम सही हो तो मैं क्या था |
क्या लेखनी सा छिलते रहना जरूरी है,
आँखें बंद कर घर लुटते देखना जरूरी है |
गर इज्जत उतर रही हो
तो खामोश रहना जरूरी है |
जी लो जैसे जीते आए हो,
मैं सही हूँ और सही था |
जो पाया उसी की रज़ा से पाया,
मुझे कुर्सी पर फ़ितूर ना था |
मेरे व्यवहार में जी हुजूर ना था ,
इस से ज्यादा मेरा कुसूर ना था ||
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