Best Motivational Speech in Hindi || बेहतरीन प्रेरणादायक स्पीच ||हमें बूढ़े माँ बाप की कोई


Best Motivational Speech in Hindi || बेहतरीन प्रेरणादायक स्पीच
हमें बूढ़े माँ  बाप की कोई  जरूरत नहीं ,उन्हें बृद्धाश्रम भेज दो

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कल मैं सुबह सुबह योग कर रहा था, इस समय मैं केवल योग ही करता हूँ किसी का बात करना मुझे अच्छा नहीं लगता ! तभी मुझे मेरे दोस्त राजन के भाई राकेश का कॉल  आया मैं कॉल  उठाना  नहीं चाह  रहा था पर वह बार बार कॉल किये जा रहा था , मैंने दिल मसोस के कॉल  उठाई और गुस्से से उस से कारण पूछा , तो दूसरी तरफ से जबाब आया माफ़ करना भाई पर जल्दी से हमारे घर पहुंचो आपकी जरूरत है मैंने उस से चिंता का कारण पुछा तो वह बस यह बोलै भईया जल्दी से घर पहुंचो बड़े भाई भाभी को तलाक दे रहे हैं ! 

मेरा दोस्त राजन जिला अधिकारी है ! वह बचपन से ही बहुत ही लायक विद्यार्थी था ,उस की माँ ने पिता के ना होते हुए, उसे  पढ़ाया ! राकेश की बात सुनकर मैं चौक गया था ऐसा क्या हो गया ,राजन का परिवार तो बहुत खुश था सब  ठीक चल रहा था अब क्या हो गया ! मैंने आव देखा ना ताव बस उस के घर की तरफ दौड़ चला !

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राजन के घर पहुँच कर देखा की वह सोफे के कोने में आँखों में आंसू लिए बैठा है उस की 10  बर्ष की बेटी उदास सी उस के पास खड़ी  है  मैंने राजन के पास  जाकर पुछा ________

 दोस्त क्या बात है यहाँ क्या हो रहा है ,तेरे खुशहाल परिवार में ये उदासी क्यों।  यह सुनते ही वह भभक कर रो पड़ा और बोला  !

मैं माँ को बृद्धाश्रम छोड़ आया हूँ।  जिस माँ ने कभी मुझे पिता के ना होने का अहसास भी नहीं होने दिया ! मुझे पढ़ाने की लिए जिस ने लोगों  के घर बर्तन धोये यहां तक की बीमार होते हुए भी काम किया ! खुद भूखी सोयी पर मुझे भूखा नहीं सोने दिया। मेरे परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर जो लोगों  को बता बता कर नहीं थकती थी ! आज खुद स्वंतत्र होने के लिए उसे औरों  के हवाले छोड़ आया हूँ।  मेरी माँ को क्या पसंद है क्या नहीं उन्हें क्या पता ,वह अब कैसे रहेगी। 

जब मुझे उस की जरूरत थी  तब उस ने अपना पूरा साथ दिया , पर जब उसे मेरी जरूरत थी मैं उसे बोझ समझकर छोड़  आया ! 

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ये जो तेरी भाभी है मेरी माँ को नहीं समझ पाई  !पूरा दिन बस मुझे माँ के बारे में उलटा सीधा बोलते रहना ! क्या इस की माँ नहीं  है , पर ये क्या समझे इस की माँ तो माँ है और मेरी माँ हर पल गलत है ! 

परिवार को खुश रखने के लिए मुझे यही तरीका समझ में आया और मैं माँ को छोड़ आया ! अब तेरी भाभी खुश हो गयी होगी ! 

आज मैं  इसे भी स्वतंत्र  कर रहा हूँ , जैसे मैं  अपनी माँ के बिना रह सकता हूँ वैसे ये और बच्चे भी अकेले रह सकते हैं  ! मैं  इसे तलाक देकर अपनी माँ के पास जा रहा हूँ मैं  भी उस के साथ बृद्धाश्रम रहूँगा !मरे बच्चों  ने भी मेरे साथ यही तो करना है !

क्या है इंसान दुनिया को न्याय देने वाला आज अपनी माँ के साथ न्याय नहीं कर पाया , मेरे दिमाग मे कई प्रश्न चल रहे थे !

मैंने जैसे तैसे उसे समझाय और उसे कहा हम अभी माँ के पास चलेंगे और  माँ को घर लेकर आयेंगे ! भाभी जी ने भी  क्षमा याचना करते हुए यही कहा क्योंकि उन्हें पता चल चूका था अपनी गलती के बारे में !

हम बृद्धाश्रम के द्वार पर पहुंचे तो दरवान ने आगे जाने से इंकार कर दिया ,राजन ने उसे बताया की मैं जिलाधिकारी हूँ तो वो बोलै साहब अगर आप अपनी माँ के साथ न्याय नहीं कर पाए तो औरों  के साथ क्या करोगे मैं  अंदर नहीं जाने दूंगा !

राजन गिड़गिड़ाते हुए उस के पैरों  में गिर पड़ा और उस से बोला  मुझे माँ को ले जाना है कृपा कर के मुझे जाने दो ,तभी होस्टल  बार्डन वहां आयी और हमें बापस जाने को कहा ! जब हम ने उन से निवेदन किया तो वो गुस्से से तिलमिला गयी और बोली मैं आप को अंदर नहीं भेजूंगी क्या पता आप उसे बाहर ले जा कर मार दें  चुपचाप यहाँ से चले जाओ ,पहले सोचना था ,तुम लोगों  को बूढ़े बोझ लगते हैं  ना !तुम जैसी औलाद को तो पेट में ही मार देना चाहिए !

राजन यह सुनकर खुद को रोक नहीं पाया और जोर जोर से रोना शुरू कर दिया और माँ माँ बोलता रहा ! उसे देखकर शायद  होस्टल  बार्डन को दया आ गयी और वह हमें माँ के पास ले गयी !

माँ ने जब देखा पूरा परिवार वहाँ  आया है तो वह रो पडी और बोली ,राजन बीटा तू आ गया मैं  सब को बोल रही थी मेरा बच्चा ऐसा नहीं है किसी काम में व्यस्त होने के कारण मुझे यहाँ  छोड़ गया है ,लेने जरूर आएगा !

राजन बोला  चल माँ मेरे साथ चल ,वहाँ  जितने भी लोग थे सब की आँखों में ऑंसू  थे शायद वे भी सोच रहे थे की कोइ उन्हें भी लेने आएगा !माँ ने सब को अलविदा कहा ,सभी के मुँह में यही शब्द थे की ऐसा बेटा  सब को दे !

दोस्तों राजन खुशकिस्मत था जो माँ को बापस लेकर आ सका ! अगर आप में से भी कोई  ऐसा सोच रहा है तो इक बार यह भी याद कर ले की इन्हीं  माँ  बाप ने आप की हर इच्छा पूरी की ,आप को सब कुछ दिया चाहे अपनी इच्छा को मार ही क्यों नहीं दिया हो और आज आप क्या कर रहे हो ,याद रखो आप भी माँ बाप हो कल आप के साथ भी यही हो सकता है ! 




दोस्तो, अपने घर के उन विशाल हृदय वाले लोगों, जिनको आप बूढ़े और बुढ़िया की श्रेणी में रखते हैं, वे आपके जीवन के कल्पतरु हैं। उनका यथोचित आदर-सम्मान, सेवा-सुश्रुषा और देखभाल करें। यक़ीन मानिए, आपके भी बूढ़े होने के दिन नज़दीक ही हैं।...उसकी तैयारी आज से ही कर लें। 


देवियाँ भी ध्यान दें जैसे आप की माँ है वैसे ही आप के पति की भी है !जैसा आप उस के साथ करवाओगी आप का भाई भी आप की माँ के साथ भी वैसा ही करेगा !

धन्यवाद !!

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 मेरी बात कुछ लोगों के लिए तीखी है पर एक बार सोचें जरूर !

Best Motivational Speech in Hindi || बेहतरीन प्रेरणादायक स्पीच || माँ बाप प्यार के भूखे हैं

Best Motivational Speech in Hindi || बेहतरीन प्रेरणादायक स्पीच

माँ बाप प्यार के भूखे हैं |उन्हें कुछ समय दो |
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एक दंपती दीपावली की ख़रीदारी करने को हड़बड़ी में था। पति ने पत्नी से कहा, "ज़ल्दी करो, मेरे पास टाईम नहीं है।" कह कर कमरे से बाहर निकल गया। तभी बाहर लॉन में बैठी माँ पर उसकी नज़र पड़ी।

कुछ सोचते हुए वापस कमरे में आया और अपनी पत्नी से बोला, "जीया, तुमने माँ से भी पूछा कि उनको दिवाली पर क्या चाहिए?

जीया बोली, "नहीं पूछा। अब उनको इस उम्र में क्या चाहिए होगा यार, दो वक्त की रोटी और दो जोड़ी कपड़े....... इसमें पूछने वाली क्या बात है?
यह बात नहीं है जीया...... माँ पहली बार दिवाली पर हमारे घर में रुकी हुई है। वरना तो हर बार गाँव में ही रहती हैं। तो... औपचारिकता के लिए ही पूछ लेती।

अरे इतना ही माँ पर प्यार उमड़ रहा है तो ख़ुद क्यों नहीं पूछ लेते? झल्लाकर चीखी थी जीया ...और कंधे पर हैंड बैग लटकाते हुए तेज़ी से बाहर निकल गयी।

सूरज माँ के पास जाकर बोला, "माँ, हम लोग दिवाली की ख़रीदारी के लिए बाज़ार जा रहे हैं। आपको कुछ चाहिए तो..
माँ बीच में ही बोल पड़ी, "मुझे कुछ नहीं चाहिए बेटा।"
सोच लो माँ, अगर कुछ चाहिये तो बता दीजिए.....
सूरज के बहुत ज़ोर देने पर माँ बोली, "ठीक है, तुम रुको, मैं लिख कर देती हूँ। तुम्हें और बहू को बहुत ख़रीदारी करनी है, कहीं भूल न जाओ।" कहकर सूरज की माँ अपने कमरे में चली गईं। कुछ देर बाद बाहर आईं और लिस्ट सूरज को थमा दी।......  

           

सूरज ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए बोला, "देखा जीया, माँ को भी कुछ चाहिए था, पर बोल नहीं रही थीं। मेरे ज़िद करने पर लिस्ट बना कर दी है। इंसान जब तक ज़िंदा रहता है, रोटी और कपड़े के अलावा भी बहुत कुछ चाहिये होता है।"


अच्छा बाबा ठीक है, पर पहले मैं अपनी ज़रूरत का सारा सामान लूँगी। बाद में आप अपनी माँ की लिस्ट देखते रहना। कहकर शालिनी कार से बाहर निकल गयी।

पूरी ख़रीदारी करने के बाद जीया बोली, "अब मैं बहुत थक गयी हूँ, मैं कार में A/C चालू करके बैठती हूँ, आप अपनी माँ का सामान देख लो।"
अरे जी़या तुम भी रुको, फिर साथ चलते हैं, मुझे भी ज़ल्दी है।
देखता हूँ माँ ने इस दिवाली पर क्या मँगाया है? कहकर माँ की लिखी पर्ची ज़ेब से निकालता है।

बाप रे! इतनी लंबी लिस्ट, ..... पता नहीं क्या - क्या मँगाया होगा? ज़रूर अपने गाँव वाले छोटे बेटे के परिवार के लिए बहुत सारे सामान मँगाये होंगे। और बनो *श्रवण कुमार*, कहते हुए जीया गुस्से से सूरज की ओर देखने लगी।

पर ये क्या? सूरज की आँखों में आँसू........ और लिस्ट पकड़े हुए हाथ सूखे पत्ते की तरह हिल रहा था..... पूरा शरीर काँप रहा था।
जीया बहुत घबरा गयी। क्या हुआ, ऐसा क्या माँग लिया है तुम्हारी माँ ने? कहकर सूरज के हाथ से पर्ची झपट ली....
हैरान थी जीया भी। इतनी बड़ी पर्ची में बस चंद शब्द ही लिखे थे.....
*पर्ची में लिखा था....*     
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"बेटा सूरज मुझे दिवाली पर तो क्या किसी भी अवसर पर कुछ नहीं चाहिए। फिर भी तुम ज़िद कर रहे हो तो...... तुम्हारे शहर की किसी दुकान में अगर मिल जाए तो *फ़ुरसत के कुछ पल* मेरे लिए लेते आना.... ढलती हुई साँझ हूँ अब मैं। सूरज, मुझे गहराते अँधियारे से डर लगने लगा है, बहुत डर लगता है। पल - पल मेरी तरफ़ बढ़ रही मौत को देखकर.... जानती हूँ टाला नहीं जा सकता, शाश्वत सत्‍य है..... पर अकेलेपन से बहुत घबराहट होती है सूरज।...... तो जब तक तुम्हारे घर पर हूँ, कुछ पल बैठा कर मेरे पास, कुछ देर के लिए ही सही बाँट लिया कर मेरे बुढ़ापे का अकेलापन।.... बिन दीप जलाए ही रौशन हो जाएगी मेरी जीवन की साँझ.... कितने साल हो गए बेटा तुझे स्पर्श नहीं किया। एक बार फिर से, आ मेरी गोद में सर रख और मैं ममता भरी हथेली से सहलाऊँ तेरे सर को। एक बार फिर से इतराए मेरा हृदय मेरे अपनों को क़रीब, बहुत क़रीब पा कर....और मुस्कुरा कर मिलूँ मौत के गले। क्या पता अगली दिवाली तक रहूँ ना रहूँ.....
पर्ची की आख़िरी लाइन पढ़ते - पढ़ते जीया फफक-फफक कर रो पड़ी.....
*ऐसी ही होती हैं माँ.....*

दोस्तो, अपने घर के उन विशाल हृदय वाले लोगों, जिनको आप बूढ़े और बुढ़िया की श्रेणी में रखते हैं, वे आपके जीवन के कल्पतरु हैं। उनका यथोचित आदर-सम्मान, सेवा-सुश्रुषा और देखभाल करें। यक़ीन मानिए, आपके भी बूढ़े होने के दिन नज़दीक ही हैं।...उसकी  तैयारी आज से ही कर लें। इसमें कोई शक़ नहीं, आपके अच्छे-बुरे कृत्य देर-सवेर आप ही के पास लौट कर आने हैं।पूरा जीवन कमाते रहे ,किस के लिए ,बस आप के लिए ,और अब आप उन्हें दो मिनट का समय भी दे नहीं पा रहे |
मेरी बातें कुछ लोगों तो कड़वी लगेंगी ,इसमें आप का घाटा मेरा कुछ नहीं जाता |

*कहानी अच्छी लगी हो तो कृपया अग्रसारित अवश्य कीजिए। शायद किसी का हृदय परिवर्तन हो जाए और.....*