हास्य व्यंग्य
|| हास्य शायरी || Hasya Shyari || शायरी
दारू पर शायरी
1.
हाथों में तेरे मय का प्याला,
मस्ती में झूमे जा रहा है तू |
ये पीना और पिलाना जिसने सिखाया,
उसे ही घूरे जा रहा है तू ||
2.
मय जब से तू पीने लगा है,
असर आँखों पे दिखने लगा है |
मस्ती सी रहती है चाल में तेरी,
बोतल पे तेरा भी असर दिखने लगा है ||
3.
खाली ये बोतल, किनारे फैंक कर,
नहीं पी तूने, बैठा है यह मानकर|
बोतल भरी पड़ी है, अलमारी में,
ललचाए जा रहा यह जानकर |
जैसे ही उठाने को हुआ बोतल,
खड़ा हो भी ना पाया पैरों पर ||