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हिमाचली कविता | Himachali Kavita (मुसाफिरा)

  हिमाचली कविता | Himachali Kavita  (मुसाफिरा)


हिमाचली कविता | Himachali Kavita  (मुसाफिरा)


मुसाफिरा


कुत्थू जो चलेया मुसाफिरा,कुत्थू ते आया जाणा कुत्थू |

दुनिया दी तिज्जो परवाह नहीं ,उड़दा पंछी बणेया है तू ||


घड़ी भर बई लै दिला दी कई लै,थकेया जेआ लगदा है तू |

पहाड़ाँ दा पाणी बड्डा ही मिट्ठा ,प्यासा मत जाँदा तू ||


माता भी छड्डी पिता भी छड़ेया ,घरे छड्डी नै चलेया तू |

लगदा तू भुक्खा भाह्णा, दुध रोटी खाई लै तू ||


तेरी जोड़िया दा कोई नी मिलणा,किल्ले ही फिरना तू |

पिच्छे दी तू सोच छड्डी दे,कर्मा दा ही खाणा तू ||


रैहणा पिट्ठी भार कर्मां दा,देया ही जन्माँ-जन्माँ दा तू |

सोचणे ते कुछ नी होणा,कदी नी होया कुसी  दा तू |


मंजला पर पौंची नै मेरी भी दस्सेयाँ,गल्लाँ बोलेयाँ सारी तू |

ए जिन्दड़ू इहईयाँ ही चलदा,कल मैं जाणा अज्ज चलेया तू ||


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Himachali Kavita | हिमाचली कविता (प्यारा भाऊ)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (प्यारा भाऊ)

 

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (प्यारा भाऊ)

हिमाचली कविता के इस स्कंध में आप पाएँगे ,डोगरी भाषा में लिखी Himachali Hasya Kavita जो जरूर आप के मन को मोह लेंगी |यह Hasya Kavita आप को रोजमर्रा कि जिन्दगी से सम्बंधित लगेगी ,पर इन का सम्बंध सिर्फ मेरी सोच से है ना कि किसी विशेष व्यक्ति से |

      

👚👚प्यारा भाऊ👚👚


दिला दा मरीज,बड्डा ही छैल भाऊ |

अप्पू ताँ खरा-खरा ,दूजेआँ जो सखाए बैर भाऊ ||

🐵🐵

दूँ ग्रामा दा शरीर तेरा,दसाँ ग्रामा आले जो भी सखाए बैर भाऊ |

फिक्र करनी चाहिंदी अपणी,जंग्गाँ खींजे दूजे दी भाऊ ||

🐕🐕

ज्ञान बड्डा भारी,प्रीत तेरी साजिशाँ नै भाऊ |

होणा-जाणा कुछ नी,अड़ेया रहे फेरी भी भाऊ ||

🐭🐭

तरक्की करे कोई ,मीटिंगाँ करे रोज भाऊ |

जित्थी कोई पुछदा नी,ओथी भी जंग अड़ाए भाऊ ||

🐹🐹

दारूए दि दुकाना जाई,भक्काँ मारे लक्खाँ दी भाऊ |

नाल लगी पैणा घोड़े जो,पैर अपणा भी बढ़ाई दे भाऊ ||

🐱🐱

नकेल पई बल्दा जो,अपना भी नक खुजलाए भाऊ |

पता-सता कुछ नी,कुछ भी गलाई दे भाऊ ||

🐣🐣

खरे कम कित्ते नी,सोची सोची कित्ती जिन्दगी खराब भाऊ |

हुण भी सुधरी जा,खरे कम ही आणे कम्माँ ओ भाऊ ||


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Himachali Kavita | हिमाचली कविता (मच्छर मच्छरी)

 Himachali Kavita | हिमाचली कविता (मच्छर मच्छरी)


Himachali Kavita | हिमाचली कविता (मच्छर मच्छरी)


🕸मच्छर - मच्छरी 🕸


मच्छर बोलेया 


मच्छर कने मच्छरिया च होआदी थी गल,

क्या होआदा जमाने च ,कैजो होआदा असाँ कन्ने छल |



हिट ,क्रीमाँ कन्ने क्या क्या आई गया बजारा ,

धुँए नै ही नट्ठी जाँदे थे,कैजो पैओ असाँदी मारा |

दुश्मन कजो होई बैठेआ ,ए जमाना सारा,

इक बूँद खूने नै ही ,भरी जाँदा था पेट महारा  ||


मच्छरी बोली


हे पतिदेव इक दिन ताँ मरना ही आ,टैंशन कैजो लेआदे ,

पर इक गल दसा मिंजो,

साबुन दानिया च साबण,चूहेदानिया च चूहा ,

पर मच्छर दानिया च आदमी कैजो सोआदे ||

असे कन्ने असाँदा परिवार तिल तिल 

मरादे ,

ए उत्तर मिली गया ताँ ही पता चलना ,मित्र महारे दुश्मण कजो होआदे |


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Himachali Kavita | हिमाचली कविता (दारूए दे फायदे)

 Himachali Kavita | हिमाचली कविता (दारूए दे फायदे)


दारूए दे फायदे 

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (दारूए दे फायदे)


आओ छोटी जेही कहाणी सुणाँदा ,

शारबे दे फायदे गणाँदा,


शराबे पी नै हौसला आँदा,

चूहा भी शेर बणी जाँदा |

नचणा जिस जो कदी नी आँदा ,

शराबे पी नै खोले पाँदा ||



आओ छोटी जेही कहाणी सुणाँदा ,

शारबे दे फायदे गणाँदा,



पढ़ाईया दा का नी आँदा,

शराबे पी नै अंग्रेजी गलाँदा |

बुढ़ापा तिस जो कदी नी आँदा,

शराबे दे दो पैग लगाँदा ||



आओ छोटी जेही कहाणी सुणाँदा ,

शारबे दे फायदे गणाँदा,


चिंता डर दूर चली जाँदा ,

जेड़ा दारूए नै चखणा भी खाँदा |

दारूए च ठंडा पाँदा,

एथी ओथी दी सब गलाँदा ||


आओ छोटी जेही कहाणी सुणाँदा ,

शारबे दे फायदे गणाँदा,


चोर उसदे घरो नी आँदा,

रस्ते च ही सब लैंदा जाँदा |

गड्डिया दा जहाज बणाँदा,

मरने दा डर चली जाँदा ||


आओ छोटी जेही कहाणी सुणाँदा ,

शारबे दे फायदे गणाँदा,

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Himachali Kavita | हिमाचली कविता (अज कला दा प्यार)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (अज कला दा प्यार)

 

अज कला दा प्यार



हीरो दिक्खेया ,हिरोइन भी दिक्खी,

इन्स्टा ते भी लेया सिक्खी |

फेसबुक्का च दोस्त बणाए ,

प्यारा आली कहाणी सिक्खी ||


अज कला दा प्यार भी ,कदेआ होई गया ,

Insta पर लव होई गया,facebooka पर सब होई गया ||


फोन हत्थाँ ते छुड़दा नी,मंजे पर रैहणा सई,

लाईकाँ जो देई देई,सुन्न गई उँगलियाँ होई |

कुन्नी ए short पैन्ने,कुनकी फोटो टाईटाँ च लई ,

दिला दियाँ हसरताँ च,पिचकेओ गै गाल होई ||


अज कला दा प्यार भी कदेहा होई गया,

भ्यागा-भ्यागा मिल्ले संजो सब होई गया |


ऑनलाईन ही रिचार्ज होआ दे,ऑनलाईन ही होआदे चार्ज ,

ऑनलाईन दोस्त बणादे,हुण कुछ नी रेआ राज |

लाईकाँ दी भुक्ख बढ़ी,हुण ओ नी रही मस्ती ,

नोखे-नोखे पोज बणाणे ,फोटो खिंजणा सब दस्सी ||


अज कला दा प्यार कदेआ होई गया,

दूरा ते ही सब होई गया ||


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Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचले दियाँ सड़कां)

 Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचले दियाँ सड़कां)


हिमाचले दियाँ सड़कां


Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचले दियाँ सड़कां)


सड़काँ महारियाँ,पहाड़ाँ पर चलदियाँ |

अज सुणाँदा ,सै कियाँ बणियाँ ||


राज अड़ेया,अड़ेया जफ्फा |

चन्दू अड़ेया,अड़ेया घप्पा ||

समझ जे आई इना जो |

फेरी सारेयाँ मिली जुली कम पूरा करेया |


सड़काँ महारियाँ,पहाड़ाँ पर चलदियाँ |

अज सुणाँदा ,सै कियाँ बणियाँ ||


टिक्कुएँ बोलेया ,माफी मंगा |

राजें बोलेया, देई दिखण डंगा ||

जौफियें बाया था केसर |

ताँ कियाँ दिन्दा खेतर ||


सड़काँ महारियाँ,पहाड़ाँ पर चलदियाँ |

अज सुणाँदा ,सै कियाँ बणियाँ ||


गर कोई भी नी खेतराँ दिंदे |

पैदल ही जाँदे सारे घुमणे ||

मुन्डू सारे कँवारे रैन्दे |

ना ही छोटे मोटे व्यापार हुन्दे ||


सड़काँ महारियाँ,पहाड़ाँ पर चलदियाँ |

अज सुणाँदा ,सै कियाँ बणियाँ ||


कई अड़े रहे,कईए कितियाँ मीटिंगाँ |

कई पत्र निकले,कई बणियाँ कहाणियाँ ||

ए जे गड्डियाँ ,सडका पर दौड़ा दियाँ |

पता नी कितनेयाँ कित्तियाँ कुर्बानियाँ ||




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Himachali Kavita | हिमाचली कविता (ना तेरी ना मेरी)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (ना तेरी ना मेरी)

ना तेरी ना मेरी

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (ना तेरी ना मेरी)
Photo by Flickr from Pexels


दारू पित्ती ,नशा करी ता , 
गुस्से च आई करी सिर फोड़ीता | 
फुट भर बढ़ाई कने डंगा चिणीता ,
 दूजे दे खेतराँ दा घा बड्डी ता | 

दो दिन दी जिन्दडी बंदेया,ना तेरी ना मेरी | 
खेतर डंगे इत्थू ही रही जाणें, कजो करे हेरा फेरी ||

 दूजे दे बच्चेयाँ जो बरबाद करी ता , 
खरा ता क्या सखाणाँ था ,बुरा सखाईता |
 जम्मे थे खरे घरें,करना था खरा -खरा, 
पूजा पाठ छड्डी ,सुट्टा सिखीता | 

दो दिन दी जिन्दड़ी बन्देया,ना तेरी ना मेेरी |
 खरे कम ही रही जाणे,बाकी रूत घनेरी || 

छः फुट्टा शरीर तेरा,डेढ़ फुट्टी चौड़ाई , 
जेड़ी जमीन छातिया ने लाई , ओ भी कम्मे नी आई | आखीं दस्सियाँ ,किती गलत कमाई , 
अज उसदी कल तेरी बारी भी आई |

 दो दिन दी जिन्दड़ी बन्देया,ना तेरी ना मेेरी |
 हुण भी सुधरी लै,होई जाणी देरी ||

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Himachali Kavita | हिमाचली गाने (मेरी माँ)

 Himachali Kavita | हिमाचली गाने (मेरी माँ)


मेरी माँ
माँऊ मेरिएँ प्यारा नै है पालेआ,
रोंदे जो सदा संभालेया,
दुःख मेरे ,अपने दिला च लई,
खुशियाँ नै सदा सँवारेआ |

ताहली जे क्ल्ला हुँदा,
माँऊ दे चरणा च बैंदा,
माऊ दे गलाणे पर,
केड़े भी दुःखाँ जो सैंदा |

मैं हुँदा दुःखी ,
आँसू माऊ दे निकलदे,
मेरे जख्म दर्द माऊ जो दिन्दे,
फुल्लाँ जो मिन्जो देई ,
कण्डे माँ लई लैंदी,
माँ नी हुन्दी ताँ ,दुनिया कियाँ रैंदी |

Himachali Kavita | हिमाचली कविता ( ग्राएँ दी कहाणी)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता ( ग्राएँ दी कहाणी)

ग्राएँ दी कहाणी
भ्यागा उट्ठी दातण किती,
नहाई धोई पूजा किती,
तुलसिया जो पाणी देई,
चुल्हे गोलू दित्ता रसोई|
वाह वाह ,क्या ग्राँ दी रीत बणाई,
सारेयाँ दा साथ,सारेयाँ संग प्रीत नभाई ||

छुलाणी च दही छोली ता,
खूब सारा मक्खण कड्डी ता,
भ्यागा भ्यागा गोडें जाई,
मही दा सारा दुध कड्डी ता |
वाह वाह ,क्या ग्राँ दी रीत बणाई,
सारेयाँ दा साथ,सारेयाँ संग प्रीत नभाई ||

दरातिया लई घाए जो जाणा,
दहिए कन्ने फुल्का खाणा,
प्यारा नै रैहणा,प्यारा नै गलाणा,
हत्थ बटाणा सारेयाँ नै जाणा,
वाह वाह ,क्या ग्राँ दी रीत बणाई,
सारेयाँ दा साथ,सारेयाँ संग प्रीत नभाई ||

ग्राएँ नी छड्डी सकदा,ग्राएँ ते दूर नी रही सकदा,
ग्राएँ दी रोटी ,ग्राएँ दा पाणी,
ग्राएँ दी महानता कुन्नी जाणी ||

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Himachali Kavita | हिमाचली कविता (मेरी लाड़ी)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (मेरी लाड़ी)


मेरी लाड़ी
लग्गी नौकरी होया जवान,
बयाही ता मुन्डू,जित्या जहान |
लाड़ी मेरी बड्डी कपत्ती,
भयागा छोड़ें उट्ठी नी सकदी,
हाखीं रैंदियाँ त्योरी व्योरियाँ,
पता नी कुई ते लै आँदे एड़ी छोकरियाँ |
वाह वाह वाह वाह मेरी लाड़ी,
जानी ते प्यारी मेरी लाड़ी,
सारेयाँ ते छैल मेरी लाड़ी ||

रोटी बणाँदी खाँदी जानी,
चाह तिसा जो बणाणा नी भाँदी,
खूने पींदी,दमागे खाँदी,
कुछ बोलेआ ताँ पटगदी जाँदी,
वाह वाह वाह वाह मेरी लाड़ी,
जानी ते प्यारी मेरी लाड़ी,
सारेयाँ ते छैल मेरी लाड़ी ||

बजारे जाँदी खुश रैंदी,
घुमणे फिरने च मजे च रैंदी,
आराम करना बड्डा भाए,
बस उठणेओं कोई ना गलाए,
वाह वाह वाह वाह मेरी लाड़ी,
जानी ते प्यारी मेरी लाड़ी,
सारेयाँ ते छैल मेरी लाड़ी ||

साथी है मेरी,राह है मेरी,
मेरिआ माऊ दी सेवा करे भतेरी,
कराँदी पढ़ाई बच्चेयाँ दी,
चिंत्ता करे रिश्तेआँ दी|
दूजे कुसी जो जबाब नी दिन्दी,
पहाड़ी भी जाणदी,कन्ने जाणदी हिन्दी,
वाह वाह वाह वाह मेरी लाड़ी,
जानी ते प्यारी मेरी लाड़ी,
सारेयाँ ते छैल मेरी लाड़ी ||


Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली व्याह)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली व्याह)


हिमाचली व्याह


Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली व्याह)
कुर्सियाँ लाईयाँ, टैंट लगाया |
रंग रोगन करी, घर सजाया |
नूरपुरे ते कित्ते बाजे आले |
घरा दा ही पंडत सदाया |




Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली व्याह)

धाम सारेयाँ ते खरी हो |
ताँ ही खरा वोटी सदाया |
दोसताँ जो कियाँ मैं भुल्ली सकदा |
शराबा कन्ने सोडा भी मंगाया |



Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली व्याह)
परौणे बारी बारी लग्गे आणा |
कुड़ियाँ लग्गी गीताँ गाणा |
दोस्त पी खाई मस्त होई गए |
करना लग्गे नाच कन्ने गाणा |



सेहरा चढ़ेया दुल्हा बणेआ |
हुण मुन्डू बराती लई चलेया |
बरात हर ठेके पर रूक्की |
ताँ भी टैमा दा लगन लगेया |


नुँआँ लई नै घरा जो आए |
बड्डे बुड्ढेयाँ दे पैर बंदाए |
दोस्ते भिरी रज्जी नै पिती |
सारेयां खुशी खुशी व्याह बर्ताया |

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली धाम)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली धाम)

हिमाचली धाम
Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली धाम)

सत सब्जियाँ ,मिट्ठा भत्त |
भानू बोटी, बोलदा ही मत |
मदरा, मूँगी, रैंटा बणदा |
माह, चणे कन्ने पलदा |


तीणी पर चरोटी रख |
छाबड़िया नै पाईता भत्त |
लट्टा पर रखी चरोटी |
भत्त निकलेया जियाँ मोती |

भत्ता ने डल्ला भरी ता |
हुण मदरा कन्ने पलदा रखी ता |
माह, चणे ,रैंटे कन्ने खट्टे जो तड़का |
बस बणाई सकदा भानू बड़का |
भुक्ख लगी ,होई तैयारी |
लोग चली पए सड़का सड़का |


पंदी बछाईयाँ पत्तर बंडी ते |
छाँदे सारेयां दे लग रखी ते |
मजे लाई सारेयां खादी |
धाम मजेदार लगदी सादी |


धाम ,तीणी पर चरोटिया च बणाणी |
सारेयां पंगती च बैठी नै खाणी |
परंपरा ए बड्डी पराणी |
ओ नी जाणदे जिना होटलाँ च खाणी |

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (पराणा कन्ने नौआँ जमाना)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (पराणा कन्ने नौआँ जमाना)

पराणा कन्ने नौआँ जमाना
        Himachali Kavita | हिमाचली कविता (पराणा कन्ने नौआँ जमाना)

कल

खातरिया दा पाणी,
तेला दा घाणी, 
डलिया आला लूण,
लकड़िया दी दातुन, 
घट तड़के दी सब्जी खाणी, 
बुखारा च भी कम्मा दी ठाणी,
दस-दस बच्चे जणी नै भी, 
सौ बर्षे तक रैदी थी जवानी ||


हुण

आर ओ दा पाणी,फेरी भी बमारी ,
छाणेआ तेल है, खूना च कोलेस्ट्रोल है, 
आयोडीना आला नमक, रक्तचापा दा जनक, 
टुथपेस्टा दा दम, टुट्टा दे दंद,
चटपटे दी आदत, मोटापे जो दावत, 
दवाइयाँ इतनी सारी, फेरी भी बढ़दी जाँदी बमारी,
जवानिया च रोग, करी चल्लो भोग,

फेेरी कैजो विज्ञान खरा कहाँदा,
फेेरी कैजो विज्ञान खरा कहाँदा,

Himachali Kavita | हिमाचली कविता ( मां )

Himachali Kavita | हिमाचली कविता ( मां )

Himachali Kavita | हिमाचली कविता ( मां )

माँ तेरे पैराँ दी जमीन, माँ तेरे पैराँ दी जमीन |
तेरा सुख ओ ही जाणदे, जो बिन माँ दे यतीम ||


दो पल प्यारा दे भी नी पाई सकदे माई दी छोली |
तेरे चार पैसेयाँ पर होई गए पुत्तर भी लोभी ||
खरे खरे पकवान खाँदे, माँ तरसे टुकड़े जो भी |
पुत्तर पाले दुद्धा ने, तरसा दियाँ पाणिए जो भी ||


माँ सैंदी सारेयां दु:खाँ जो, करी सकदे यकीन |
तेरा सुख ओ ही जाणदे, जो बिन माँ दे यतीम ||


पूरा दिन हाल पुछदी, पुत्र अपणा ही जाया |
माँ पुछदी खाणे जो, चाहे पुत्तर खाई पी ने हो आया ||
कोई हुण पुच्छदा नी, पता नी क्या पाप कमाया |
परिवार तेरे ते गल्लाँ भी सुणदी, कुसी दा नी साया ||


पवित्र हुन्दी माँ दे पैराँ दी जमीन |
तेरा सुख ओ ही जाणदे, जो बिन माँ दे यतीम ||


अप्पूँ सोई कन्ने सिन्ने च, तिजो सुक्के च स्वाया |
तेरियाँ निंदराँ वास्ते, अपना चैन भी गवाया ||
तिज्जो खूब ख्वाया, लिखाया कन्ने पढ़ाया |
मुन्नू चलेया नौकरिया, आँखीं ते आँसू आया ||


माँ तेरे पैराँ दी जमीन, माँ तेरे पैराँ दी जमीन |
तेरा सुख ओ ही जाणदे, जो बिन माँ दे यतीम ||


दूर जे जाणा माऊ,तू ही बोलणा हक्काँ पाई |
चल अम्मा घरे जो, मिंजो प्यारा ने दे रोटी ख्वाई ||
फेरी ही समझणे तू रिस्ते, कम्में नी आणी तेरी कमाई |
दूजेयाँ दे बोलणे पर तू जे कितया, ओ जाणा समझ आई |



Himachali Kavita | हिमाचली गाने (पराणियाँ खेलाँ)

Himachali Kavita | हिमाचली गाने (पराणियाँ खेलाँ)


पराणियाँ खेलाँ
Himachali Kavita | हिमाचली गाने (पराणियाँ खेलाँ)

असे जे खेलियाँ, क्या सही नी थियाँ |
हुण जे खेला दे, गेमाँ मोबाइले दियाँ ||


बच्चेयाँ दी रेलगड्डी, आले द्वारे रैणा नट्ठी |
ढाल खेलणी कन्ने, पत्थरे दी बणाणी गड्डी ||
गिट्टियाँ दे खेल, लुक लकैड़े दा नी मेल |
भुल्ले कंच्चे, भुल्ली गए चोर पुलिस कन्ने जेल ||


असे नी दिख्खियाँ, रिमोटे दियाँ गड्डियाँ |
हुण जे खेला दे, गेमाँ मोबाइले दियाँ ||


इक्की जंगे उटकी रैणा, छाही पी नै रज्जि रैणा |
कम करी नै स्कूले जो जाणा, मास्टरा दे डंडे सैहणा ||
खरा होया मास्टरें कुट्टे़या, घरा आलेयाँ सदा कैणाँ |
खेतराँ च कम करणा, गाई दा दुद दूणा ||


असे नी दिख्खियाँ, निन्दराँ दिने दियाँ |
हुण जे खेला दे, गेमाँ मोबाइले दियाँ ||


हुणा दे नी जाणदे, बबरू कन्ने गुलगुलेयाँ |
पलदा, रैन्टा कन्ने मदरेयाँ ||
एनकाँ लग्गी गईयाँ, फोने च लग्गे रहियाँ |
गल मणनी नी, गुस्से च रैहणा पईयाँ ||


असे जे खेलियाँ ओ ही सही थियाँ |
हुण जे खेला दे, गेमाँ मोबाइले दियाँ ||

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Himachali Kavita | हिमाचली कविता (शहरी लोग)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (शहरी लोग)

शहरी लोग

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (शहरी लोग)

असाँ दे दिला दी, तुसे नी जाणी सकदे |
कजो गए शहरे च, तुसे नी जाणी सकदे ||


पढ़े लिखे ग्राएं च, सब सिखया ग्राएं च |
कुछ भी करदे होण असे,दिल रैदा ग्राएं च ||
पंज बजे उट्ठी नै घाए जो जाणा |
छल्लियाँ दी रोटी खाणी,छाई दा रेहड़ू बणाणा ||


असाँ दा दर्द तुसे नी जाणी सकदे |
कजो गए शहरे च, तुसे नी जाणी सकदे ||


शहरे दियाँ तंग गलियाँ, ग्राएं दियाँ घाए दियाँ पट्टियाँ |
साफ नदियाँ, बिती सदियाँ, ग्राएं दियाँ हवाँ छड्डियाँ ||
लम्बरे जो जाणा, भेड्डाँ बकरियाँ चराणियाँ |
सारेयां कट्ठे होई कने, हलुआ पकौड़ियाँ बणाणियाँ ||


तुसे सारे बस गल्लाँ ही करी सकदे |
कजो गए शहरे च, तुसे नी जाणी सकदे ||

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