Himachali Kavita | हिमाचली कविता ( मां )

Himachali Kavita | हिमाचली कविता ( मां )

Himachali Kavita | हिमाचली कविता ( मां )

माँ तेरे पैराँ दी जमीन, माँ तेरे पैराँ दी जमीन |
तेरा सुख ओ ही जाणदे, जो बिन माँ दे यतीम ||


दो पल प्यारा दे भी नी पाई सकदे माई दी छोली |
तेरे चार पैसेयाँ पर होई गए पुत्तर भी लोभी ||
खरे खरे पकवान खाँदे, माँ तरसे टुकड़े जो भी |
पुत्तर पाले दुद्धा ने, तरसा दियाँ पाणिए जो भी ||


माँ सैंदी सारेयां दु:खाँ जो, करी सकदे यकीन |
तेरा सुख ओ ही जाणदे, जो बिन माँ दे यतीम ||


पूरा दिन हाल पुछदी, पुत्र अपणा ही जाया |
माँ पुछदी खाणे जो, चाहे पुत्तर खाई पी ने हो आया ||
कोई हुण पुच्छदा नी, पता नी क्या पाप कमाया |
परिवार तेरे ते गल्लाँ भी सुणदी, कुसी दा नी साया ||


पवित्र हुन्दी माँ दे पैराँ दी जमीन |
तेरा सुख ओ ही जाणदे, जो बिन माँ दे यतीम ||


अप्पूँ सोई कन्ने सिन्ने च, तिजो सुक्के च स्वाया |
तेरियाँ निंदराँ वास्ते, अपना चैन भी गवाया ||
तिज्जो खूब ख्वाया, लिखाया कन्ने पढ़ाया |
मुन्नू चलेया नौकरिया, आँखीं ते आँसू आया ||


माँ तेरे पैराँ दी जमीन, माँ तेरे पैराँ दी जमीन |
तेरा सुख ओ ही जाणदे, जो बिन माँ दे यतीम ||


दूर जे जाणा माऊ,तू ही बोलणा हक्काँ पाई |
चल अम्मा घरे जो, मिंजो प्यारा ने दे रोटी ख्वाई ||
फेरी ही समझणे तू रिस्ते, कम्में नी आणी तेरी कमाई |
दूजेयाँ दे बोलणे पर तू जे कितया, ओ जाणा समझ आई |



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your comments will encourage me.So please comment.Your comments are valuable for me

VIRAL POST

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक )

 श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक ) गीता के अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक सस्कृत ...

सबसे ज्यादा पसंद की गई पोस्ट