Religious Stories in Hindi | धार्मिक कथाएँ (अकबर और माता ज्वाला कि कथा)
वाह रे प्यार तेरा, माँ ज्वालाजी के साथ |
मरे को जीवन दिया, लगा दी नैया पार ||
अकबर राजे ने, जब देखा, जब देखा चमत्कार |
चल पड़ा सेना लेकर, ज्वालजी के पास ||
ज्वालाएँ जलती देख, परीक्षा लेने कि ठानी |
जल की धाराएँ मंदिर में बहा दीं ||
साथ मिले जिसे,मिले माँ का साथ |
मरे को जीवन दिया, लगा दी नैया पार ||
कैसे तेरे भक्त हैं, कैसा है इम्तिहान |
सुर हो या असुर, सब हैं एक समान ||
पानी में ज्वालाएँ जलीं, अकबर का मान घटाया |
सवा मन सोने का छत्र, ज्वाला माँ के चढ़ाया ||
जो भजे माँ को, करे याद दिन , रात |
मरे को जीवन दिया, लगा दी नैया पार ||
माँ को नहीं है लोभ ना चाह तेरे माल की |
चाह है भक्ति की और भक्त के प्यार की ||
अकबर के मान था, ना था माँ का सम्मान |
सोने को बदलकर,दूर किया अभिमान ||
आओ भक्ति लेकर, माँ को करो प्रणाम |
अपनी धन दौलत से, करो गरीबों में दान ||
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