Hindi Kavita | कविताएँ (देश प्रेम कि कहानी )
दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम को फिल्मी बता रहे हैं |
देश प्रेम कि कहानी
वतन का मैं सहारा हूँ , वतन मेरा सहारा है | वतन कि इन जमीनों को जख्मों से दुलारा है || कोई जा के ये कह दे उन जमीनों के शैतानों से | कदम रखा तो टकराओगे लोहे कि दीवारों से ||
वतन के वासते जीना , वतन के वासते मरना | हम ने बस ये सीखा है वतन पे जान फ़िदा करना || के रखोगे कदम अपने मेरी इन जमीनों पे। नहीं पाओगे सर अपने, इन नापाक कंधो पे ||
के माँ को भूल आये हैं , बहन को भूल आये हैं | वतन के वासते हम तो, सब कुछ छोड़ आये हैं || बस इतनी गुजारिस है, देश के नौनिहालों से | याद रखना हम को भी ,सुख भरे लम्हों में ||
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