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श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक )

 श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक ) गीता के अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक सस्कृत में निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव | न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमहवे || 31|| न काङ्क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखनि च | किं नो राज्येन गोविंद किं भोगर्जिवितेन वा || 32|| येषामर्थे काङ्क्षितं नो अशं भोगः सुखनि च | त इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणानस्त्यक्त्वा धनानि च || 33|| आचार्य: पितर: पुत्रस्तथैव च पितामह: | मातुला: श्वशुरा: पौत्रा: श्याला:संबंधिनस्तथा || 34|| गीता के अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक हिंदी में अर्जुन जी कहते हैं की ,मैं केवल दुर्भाग्य के लक्षण देखता हूं। मुझे अपने ही स्वजनों को मारने में किसी भी तरह का फायदा नज़र नहीं आता | 31| हे कृष्ण, मुझे ना विजय की इच्छा है और ना ही राज्य और सुखों की ,हे गोविंद हमे ऐसे राज्य से क्या लाभ है तथा ऐसे भोगों और जीवन से क्या  लाभ | 32| हम जिनके लिये राज्य, भोग और सुख आदि इच्छित हैं, वे ही ये सब धन और जीवन की इच्छा को छोड़कर युद्ध की लिए खड़े हैं ।33| युद्ध में आचार्य , ताऊ-चाचे, पुत्र और उसी प्रका

हिन्दी मे सुंदर कवितायें | हिन्दी मे सुंदर कवितायें ( चिड़िया घर की)

 हिन्दी मे सुंदर कवितायें | हिन्दी मे सुंदर कवितायें ( चिड़िया घर की) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |   चिड़िया घर की  मैं भी बेटी हूं किसी की ,जो घर तेरे आई हूं मिलेगा मान सम्मान ,तभी तेरे घर ब्याही हूं !!  मां पिता ने किया दान ,कर्तव्य परायणता मेरा काम !  मायके को पीछे छोड़,ससुराल को दूंगी सम्मान !! सास हर बात बोले  मुझी से,मैं भी मन की उससे बोलूं !  घर की बात रहे घर ही में, दूजे की दखलअंदाजी ना झेलूं !!  घर के सब कष्ट हर लूंगी ,दोगे अगर पूरा सम्मान ! दूजे भी होंगे प्यारे आपको पर सबसे ऊपर मेरा मान !!   उड़ गई चिड़िया तेरे घर की, अब हो गई दूजे घर की ! मैं भी चिड़िया किसी के घर की ,बना कर तो देखो अपने घर की !! अन्य  वक्त तो लगता है   

हिन्दी कविता | Poem about Life in Hindi (वक्त तो लगता है )

  हिन्दी कविता | Poem about Life in Hindi (वक्त तो लगता है ) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | वक्त तो लगता है यूँ तो तन्हाईयाँ बहुत हैं जहाँ में , रौनकों को ढूँढने में वक्त तो लगता है | जो खुशियाँ ढूंढोगे हर पल, दुखों का पहाड़ भी सरल सा लगता है | तन्हाईयाँ भी लगती हैं दोस्त सी , हर पराया भी अपना सा लगता है | जो खुशियाँ बिखेरोगे जहाँ में , दूजे का दुख भी अपना सा लगता है | सन्नाटे में हल्की सी आवाज बन जाओ , जो रूठे हैं ,दिलों में उनके घर कर जाओ , जो अंजाने हुए बैठे हैं ,जो छुपे से हैं , उन ख्वावों को फलने में वक्त तो लगता  है | अन्य  1.      चिड़िया घर की  2.        विवाह वर्षगांठ कविता   

Poems To Wish Marriage Anniversary | विवाह की वर्षगांठ पर कविता

  Poems To Wish Marriage Anniversary |  विवाह की वर्षगांठ पर कविता  दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | साथ रहे हमेशा ,दी हर मुसीबत को मात , रहा आपका हाथों में हाथ,ना छोड़ा इक दूजे का साथ ||   कसम खाई थी, इकट्ठा सहेंगे जिंदगी के  हर दिन रात , जिस दिन दो आत्माओं का हुआ मिलन ,वही दिन है आज ||  आप जैसी जोड़ियां कम ही बनती है,कम ही होते हैं आप जैसे लोग ,    सपने हों पूरे हमेशा ,शादी की सालगिरह मुबारक हो ||  आप एक दूजे से कभी ना रूठें ,खुशियाँ जीवन में कम ना हों , आप का साथ कभी ना छूटे,जीवन में आपके गम ना हों ||  अन्य  1.    वक्त तो लगता है  2.    लोटन के राम   

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (लोटन के राम)

   Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (लोटन के राम)  लोटन के राम दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | 😤😤 लोटन के राम😤 😤 पढ़ी नहीं तुम ने रामायण ,फिल्मी इस को कहने वाले | पूछा कभी क्या है कारण,राम ,नाम मे लिखने वाले || राम जन्म हुआ जहाँ ,क्या वह अयोध्या थी फिल्मी, दहन जिस का किया हनु ने,क्या थी लंका फिल्मी || राम सेतु बना जहाँ ,कैसे कह गए जगह थी फिल्मी, गोपियों संग खेले कान्हा,क्या लगता जगह थी फिल्मी || जोश - जोश में क्या कह गए ,फिल्मी जीवन जीने बाले , गोरखपुर के निषाद ही थे,राम कि नैया खेने बाले || श्रंगपेगपुर के निषादराज,क्या थे कोई फिल्मी नेता , भोई समाज जिन्हें पूजता,कैसे कहा उन्हें अभिनेता | अशोक वाटिका क्या झूठी थी,क्या झूठा था रावण संहार , फिल्मी कैसे कहा इन्हें,कैसे किया यह प्रहार || थम जाओ ना लो परीक्षा,राम धरा पर रहने वाले , राम ही काम आएँगे,फिल्मी राम को कहने बाले || सभी सुन लें ,सब से है यह अनुरोध, आ

Hindi Kavita | Hindi Poetry | हिन्दी मे सबसे अच्छी कवितायें ( इज्जत फौजी की)

  Hindi Kavita | Hindi Poetry | हिन्दी मे सबसे अच्छी कवितायें  ( इज्जत फौजी की) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो ना खुश रहते हैं और ना दूसरों को रहने देते हैं | 🍒🍒 इज्जत फौजी की 🍒🍒 तू मखमल पर सोने बाला,मैं बर्फ ओढ़कर सोता हूँ || तू पंछी स्वच्छंद,मैं सीमाओं पर  होता हूँ || तुझे भाए बर्षा बहार,मुझे भाए गोलियाँ बौछार || तू अनगिनतों में आने बाला,अमर जवान मेरा उपहार || तू खुशियों में भी रहे चिंतित,मैं चिंता में सुखी व्यार || तुझे भाए मीठा पकवान,माटी ही मेरा आहार || तू मखमल पर सोने बाला,मैं बर्फ ओढ़कर सोता हूँ || तू पंछी स्वच्छंद,मैं सीमाओं पर  होता हूँ || तू मनाए होली दिवाली,मैं अग्नि में तपता हूँ || हर ओर तेरे संगी साथी,मैं अकेला चलता हूँ || तू सजाए सपनों को ,मैने छोड़ा अपनो को || पता नहीं लौटूँगा मैं,कोई बैठी बिछाए पलकों को || तू मखमल पर सोने बाला,मैं बर्फ ओढ़कर सोता हूँ || तू पंछी स्वच्छंद,मैं सीमाओं पर  होता हूँ || सुकून तुम्हारे

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (अँधकार)

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (अँधकार) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो ना खुश रहते हैं और ना दूसरों को रहने देते हैं | "अँधकार" पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार | बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार || इक दूजे कि तरक्की,ना पच रहा व्यापार | बस धकेलने लग जाते,ना भाता उद्धार || गरीब का बनाते मज़ाक,अमीरों से रहते बेजार | खुद की पता नहीं,दूजे कि नार खराब || पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार | बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार || दूजे कि खुशी से ,डूबे पड़े हैं दु:ख में , अन्दर की पीड़ा नजर आ ही जाती नज़र में || दो दिन की जिन्दगी ,की इर्षर्या अंगीकार , दो कौड़ी का मेला,छूटे ना अहंकार || पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार | बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार || ना उस की खुशी,ना तरक्की स्वीकार , ना उस का ज्ञान,ना प्रसिद्धि स्वीकार | खोदने लगे हैं खाईयाँ इक दूजे कि राहों में  | कुछ भी कर लो, इक दिन समा जाओगे धरती माँ कि

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (क्या माफ़ी होगी )

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ  (क्या माफ़ी होगी ) दोस्तो  सुरलहरी  ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी  कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो ना खुश रहते हैं और ना दूसरों को रहने देते हैं | "क्या माफ़ी होगी" Photo by  Marcus Aurelius  from  Pexels अच्छा किया जो तुम ने फिर से,  माफी का नाम लिया, भूली हुई यादों को.  ,फिर दोबारा  याद किया || पूरे जीवन में तुम ने ,कब किसी का साथ दिया , जिस बर्तन में खाया तुम ने ,बस उसी में छेद कियी || जब किसी के शव पे, तुम ने नंगा नाच किया, प्रतिफल के लिए ,आधार तूने तैयार किया || घर वाला जब किसी का ,अम्बर पर जा चुका था , मरा तो  वो था, पर तू भी अन्दर  मर चुका था || हाथ बाप का जब किसी के, मस्तक पर ना रहा, लोगों के संग,तू भी बैठा, लगा रहा था कहकहा || इतनी विपत्ति आने पर भी ,तेरी भूख नहीं मिटी, जो किसी के काम आनी थी,वो रोटी भी रही पड़ी || याद रख, फल कर्म का ,यहीं पे झेलना होगा, माफी माफी ना कर, क्या  कर्म  तेरा   माफ होगा || मृत्यु शैया पर जब तू,अंतिम स्

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (सोया शेर)

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ  (सोया शेर) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | देश प्रेम है मुझ में,देश से है प्यार | तिरछी नज़र देखा भी,दूँगा सिर उखाड़ || किस का फैसला है ,किस का है अधिकार, आश्रय दिया जिसे ,कर रहा प्रहार | सोया  पड़ा शेर है,गीदड़ कर रहे वार, झुँड बनाए बैठे हैं ,बने पड़े हैं काल || देश प्रेम है मुझ में,देश से है प्यार | तिरछी नज़र देखा भी,दूँगा सिर उखाड़ || गुड्डे गुड्डियाँ सब तोड़ दिए , बर्बाद किया घर बार | जिस घर में खेले थे , उजाड़ दिया संसार || देश प्रेम है मुझ में,देश से है प्यार | तिरछी नज़र देखा भी,दूँगा सिर उखाड़ || एक शेर को फर्क नहीं ,जब पड़ता दूजे शेर का, तब कुत्ते घेर लेते ,शेर का भी रास्ता | बंद रखता जब आँखें,नहीं रखता जब वास्ता, जिम्मेदार होता है वह ,हर तरह के नाश का || देश प्रेम है मुझ में,देश से है प्यार | तिरछी नज़र देखा भी,दूँगा सिर उखाड़ || अकेला ही झंडा उठा ,दे धरती में ग

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (वायरल कोरोना कविता)

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (वायरल कोरोना कविता) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | कोरोना 🐾भूख बढ़ गई पैसे कि,रोग का हो रहा व्यापार , दया भावना रही नहीं,मानसिक्ता हुई पड़ी बिमार | जीवन दाता माना तुझको ,तुझको माना है भगवान, अंधा बहरा हुआ पड़ा है,है कैसा तू इंसान||🐾 Photo by  Karolina Grabowska  from  Pexels 🐛हवा बिक रही,पानी बिक रहा , नहीं है पैसा,तो मुर्दा भी बिक रहा | छीन लिए मूर्दे के कंगन,छीन ली किसी की साँसें , तड़फ रहा है कोई,धूमिल पड़ी किसी कि बाँछें ||🐛 🦃भाई किसी का,बहन किसी की , बाप किसी का ,माँ किसी कि | मान किसी का ,जान किसी कि, दिन किसी का रात किसी कि | हाथ जोड़े खड़ा बाप ,रो रही है माँ किसी कि , तेरा तो कोई नहीं,क्यों सुने फर्याद किसी कि ||🦃 💰गुर्दे बेचे तीन ,लीवर बेचा पाँच लाख, लाखों में बेचा दिल,जाने कैसी तेरी साख| कफन बेचा ,लकड़ी बेची,बेच दिया अंतिम संस्कार | क्या सोच रहा है तू ,हो

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (नया दिन मुबारक)

  Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (नया दिन मुबारक) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | नया दिन मुबारक सूरज मुबारक,चाँद मुबारक, नए साल का हर दिन मुबारक | खुशियाँ मुबारक हो दुनिया मुबारक, पहाड़ी पर चढ़ती रोशनी मुबारक | चाँद कि चाँदनी मुबारक,तारों कि टिमटिमाहट मुबारक , ले जाएँ मंजिल की ओर वो सड़कें मुबारक | पहाड़ मुबारक,मैदान मुबारक, करें बर्षा वो बादल मुबारक | पेड़ मुबारक,पौधे मुबारक, हरे हर पीड़ा वो औषधी मुबारक | पत्ता पत्ता मुबारक,जर्रा जर्रा मुबारक, नई सुबह का नया जोश मुबारक | अन्य कवितायें  करोना कविता  अकेलापन 

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (क्यों है बेचारा यह दिल)

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (क्यों है बेचारा यह दिल) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | क्यों है बेचारा यह दिल अकेला है तू ,नहीं मिल रहा है कोई, बस खुद को गुम पाया,जब नज़र दौड़ाई | सब कोई खुश हैं ,मस्त है हर कोई, उसे भी दुःखी पाया,जब उस ने नज़र झुकाई | घर से लाई रोटियों को खा रहा था कोई, पास गया तो पाईं उस की भी आँखें रोईं, गम दबा रहा था कोई ,हँसी में, कोई भुला रहा था गम ,बातें कर कर, कोई चुप सा बैठा था कोने में, तो किसी की गुजर रही थी सोने में | बस यही है सफर यही है कहानी, जिसे सुनोगे हर दूर जाने बाले कि जुवानी | अन्य कवितायें  नया दिन मुबारक  जीवन का सफर 

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (जीवन का सफ़र)

 Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (जीवन का सफ़र) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | जीवन का सफ़र जीवन के सफर में चलता चला गया , रुका नहीं थका नहीं बहता चला गया , दर्द भी रहे ,रहीं खुशियाँ भी, अपने भी रहे ,देखी दुनिया भी , जीतता भी रहा ,हुआ कभी बिफल, क्या करेगा,कैसा रहेगा यह जीवन का सफ़र || कुछ दूरियाँ रहीं,रहीं नजदीकियाँ भी, कुछ सोचें भी रहीं,रहीं चिंताएँ भी , बहुत काम किया,रहा आराम भी , सफर बीतता गया,न मिला विराम भी , कब तक रहेगा,कब खत्म होगा यह सफ़र, क्या करेगा,कैसा रहेगा यह  जीवन का सफ़र || एक छूटा तो दूसरा मिलता गया, उधड़े धागों को लगातार सिलता गया, एक तरफ से संभलता था, दूसरी से बिखरता चला गया, क्यों जिन्दगी रहती है तितर बितर, क्या करेगा,कैसा रहेगा यह  जीवन का सफ़र || अन्य कवितायें  अकेलापन  छू लेंगे आसमाँ  

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (आसमां छू लेंगें )

  Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (आसमां छू लेंगें ) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | आसमां छू लेंगें  Photo by  Nathan Cowley  from  Pexel s कभी सोचा आसमां छू लेंगे , कभी सोचा जहान जीत लेंगे , कभी सोचा आसमां छू लेंगे , कभी सोचा जहान जीत लेंगे , बस सोच सोच में ही रह गई , किसी का समय किसी की उम्र गुजर गई |  दूसरे की झोली ज्यादा रही , अपनी कम ही रही , दिन रात की सोच में जिंदगी दफ़न सी रही , कुछ किया भी नहीं , जिंदगी जिया भी नहीं , कहीं समय ,उम्र खत्म हो गयी कहीं || अन्य कवितायें  जीवन का सफर  किस के लिए 

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (ना जाने किस के लिए )

   Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (ना जाने किस के लिए ) दोस्तो सुरलहरी , इस स्कंध में मैने कुछ   हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | Photo by  Tom Swinnen  from  Pexels ना जाने किस के लिए  जमाने  भर से लड़ रहा , ना जाने किस के लिए |  धूप  छाँव की परवाह ना कर रहा , ना जाने किस के लिए |  मेरे होने से भी सब है , ना होने से भी सब होगा |  हर इच्छा को दबा रहा ना जाने किस के लिए ||  कुछ खुशियाँ हैं मेरी , कुछ गम भी होंगे |  खुशियाँ परे रख ,सब गम सह रहा , ना जाने किस के लिए |  कभी तो छाँव होगी , जहाँ धुप है अभी |  किसी आशा में चल रहा, ना जाने किस के लिए |  अन्य कवितायें  छू लेंगे आसमाँ   साहब हैं खिलाफ 

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (साहब खिलाफ है )

  Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (साहब खिलाफ है ) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | साहब खिलाफ है | खिलाफ है साहब अगर,तो क्या है | जीवन भर का नाम थोड़े ही है || जो पाएगा हमी से पाएगा | है तो इन्सान ही, हैवान थोड़े ही है || कुछ पल काटने आया है, सुख के | दिखता है, मगर परेशान थोड़े ही है || हवाओं में वो भी टिक नहीं पाएगा | बादल है, ब्रहमाण्ड थोड़े ही है || जब लगेगी आग तो अपने ही पाओगे पास | यह प्यार है, अधिकार थोड़े ही है || बहेंगे आँसू टपकेगा लहू | उस के ना बहें,वो चट्टान थोड़े ही है || जुबान है बुरी, खानदान का प्रदर्शन है | सब को बाँटा जाए, वह ज्ञान थोड़े ही है || कुँए से बाहर छटपटा जाएगा | मछली है, मगर थोड़े ही है || अन्य कवितायें  किस के लिए  मेरा कुसूर 

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (मेरा कुसूर क्या था)

  Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (मेरा कुसूर क्या था) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | मेरा कुसूर क्या था?? हर किसी के दर्द को समझा अपना,  सब छोड़ कर्म को समझा अपना | फिर ना जाने मैं गलत क्या था,  तुम सही हो तो मैं क्या था | क्या लेखनी सा छिलते रहना जरूरी है,  आँखें बंद कर घर लुटते देखना जरूरी है | गर इज्जत उतर रही हो  तो खामोश रहना जरूरी है | जी लो जैसे जीते आए हो,  मैं सही हूँ और सही था | जो पाया उसी की रज़ा से पाया,  मुझे कुर्सी पर फ़ितूर ना था | मेरे व्यवहार में जी हुजूर ना था , इस से ज्यादा मेरा कुसूर ना था || अन्य कवितायें  साहब हैं खिलाफ  शहीद 

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ ( शहीद )

   Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ  ( शहीद ) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | शहीद  फूल जो बीजा था माँ ने मेरी | खिलते ही उसे अर्पण कर दिया || पता नहीं  क्या असर था, परवरिश का | जो अपने को उसने देश के नाम कर दिया || ना मुश्किलें देखीं ना देखी तकलीफ | रहे हमेशा दुश्मनों के करीब || माँ है दूर, भाई से दूर | बहन की राखी कलाई से दूर || जो भी किया देश के लिए किया | पता नहीं  क्या असर था, परवरिश का | जो अपने को उसने देश के नाम कर दिया || आज में जीता हूँ, कल का ना पता | मिल भी पाऊँगा परिवार से ना पता || ना भी मिल पाया तो इक बात जरूर होगी | देश के लिए मेरी जान तिरंगे में लिपटी होगी || जब तक जीया देश के लिए जिया | पता नहीं  क्या असर था, परवरिश का | जो अपने को उसने देश के नाम कर दिया || जिस राह से गुज़रूँगा, फूल बिछाएगी दुनिया | मेरी कुर्बानी को देख, रोएगी दुनिया || देश के लिए जान कुर्बान करना , आसान नहीं जाने

Hindi Kavita |हिन्दी कविताएँ (माँ)

    Hindi Kavita |हिन्दी कविताएँ  (माँ) दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | माँ मेरे हँसते चेहरे को देख, वो भी खिलखिला देती है | जब भी मैं दु:खि होता हूँ, वो भी रो देती है || डाँटती है जब मुझे, अन्दर ही अन्दर रोती है | शरारतों को मेरी देख, मुस्कुरा तू देती है || जो चोट खा जाऊँ मैं, दर्द तू ले लेती है | माँ तो माँ है, मुश्किल में साथ देती है || मेरे हँसते चेहरे को देख, वो भी खिलखिला देती है | जब भी मैं दु:खि होता हूँ, वो भी रो देती है || बूढ़ों का मान, सबका सम्मान | मेरे लिए तू सारा जहान || दूसरों कि मदद करना मैने तुझ से सीखा है | दूनिया में कैसे जीना तुझ से ही सीखा है || किसी की मदद बिन सोचे वो करती है | जब भी मैं दु:खि होता हूँ, वो भी रो देती है || बिन माँ जिन्दगी नहीं ,बिना उस के नहीं ज्ञान | माँ बनाई, क्योंकि हर जगह नहीं हो सकता भगवान |

Hindi Kavita | हिन्दी कविता (बाप)

Hindi Kavita | हिन्दी कविता (बाप)  दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ  हिन्दी कविताएँ  लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है | Hindi Poetry  किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि  Hindi Poem  उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं | बाप  बाप वह शब्द है, जिस का नहीं है सानी | माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी || प्यारा बेटा माँ का, बाप नहीं दुलारता | क्या इसी से तोल करोगे, बाप के उस प्यार का || क्या कहुँ मैं, क्या करूँ ,एैसे इस समाज का | फर्क पड़ता है, बाप के साथ का || किसी ने नहीं कही, बाप कि कोई कहानी | माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी || बॉर्डर पर रह के भी, चिट्ठियाँ वो लिखता था | पढाई  का ध्यान रखना, हर वक्त वो कहता था || दो थप्पड़  प्यार से बच्चों को मार देना | बाप तुमको याद करे, मेरा भी दुलार देना || तेरे संग रहने से, नहीं थी कोई हानी | माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी || मेरे लिखे पेपरों को, देखता था पढ़ता था | मेरे बच्चे सा कोई ना, तूने बस यही कहा था || डाँटता था मारता था, जोर से पुका