श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व | Bhagwat Geeta ka Mahatva दोस्तों आज के जीवन मे मनुष्य कई कठिनाईयों से गुजर रहा है , वह कई बार फैसले लेने मे असमर्थ होता है ,आप को सही फैसले लेने और सही दिशा दिखने के लिए मैं आप के लिए आज का विचार,सुविचार तथा गीता का महत्व सकन्ध लेकर आई हूँ | Geeta Ka Mahatav हमारे जीवन में बहुत है | हमारे आज के विचार हमारे जीवन पे बड़ा असर डालते हैं | गीता का महत्व हमारे जीवन मे उतना ही है जितना पानी और भोजन का | गीता का महत्व पढ़ें औए दूसरों को सुविचार दें | गीता के अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक सस्कृत में निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव | न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमहवे || 31|| न काङ्क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखनि च | किं नो राज्येन गोविंद किं भोगर्जिवितेन वा || 32|| येषामर्थे काङ्क्षितं नो अशं भोगः सुखनि च | त इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणानस्त्यक्त्वा धनानि च || 33|| आचार्य: पितर: पुत्रस्तथैव च पितामह: | मातुला: श्वशुरा: पौत्रा: श्याला:संबंधिनस्तथा || 34|| गीता के अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक हिंदी में अर्जुन जी कहते हैं की ,मैं केवल दुर्भाग्य के लक्षण देखता हूं।
Hindi Kavita | कविताएँ
दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम को फिल्मी बता रहे हैं |
चक्रव्यूह
भरत का देश, कहते हैं भारत इसे ,
हर मुसीबत से निकलने का दम रखता है |
जब भी चक्रव्यूह रचा जाता, यहाँ अर्जुन जनमता है ||
तुम्हारी क्या औकात मुश्किलों, जो हम से टकराओगी |
चाहे जितना जोर लगा लो, बापस घर जाओगी ||
जहाँ रावण है पनपता,वहीं राम भी पलता है |
जब भी चक्रव्यूह रचा जाता, यहाँ अर्जुन जनमता है ||
शाखाएँ गर रहीं तो पत्ते भी आएंगे |
हैं दिन बुरे तो अच्छे भी आएँगे ||
रहो घर पर, दूरियाँ बनाए रखो |
छुपाने कि गलती से रोग ज्यादा पनपता है |
जब भी चक्रव्यूह रचा जाता, यहाँ अर्जुन जनमता है ||
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