Hindi Kavita | कविताएँ (चक्रव्यूह)

Hindi Kavita | कविताएँ (चक्रव्यूह)

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |



चक्रव्यूह

भरत का देश, कहते हैं भारत इसे ,
हर मुसीबत से निकलने का दम रखता है |
जब भी चक्रव्यूह रचा जाता, यहाँ अर्जुन जनमता है ||

तुम्हारी क्या औकात मुश्किलों, जो हम से टकराओगी |
चाहे जितना जोर लगा लो, बापस घर जाओगी ||
जहाँ रावण है पनपता,वहीं राम भी पलता है |
जब भी चक्रव्यूह रचा जाता, यहाँ अर्जुन जनमता है ||
Hindi Kavita | कविताएँ (चक्रव्यूह)

शाखाएँ गर रहीं तो पत्ते भी आएंगे |
हैं दिन बुरे तो अच्छे भी आएँगे ||
रहो घर पर, दूरियाँ बनाए रखो |
छुपाने कि गलती से रोग ज्यादा पनपता है |
जब भी चक्रव्यूह रचा जाता, यहाँ अर्जुन जनमता है ||

अन्य कवितायें 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your comments will encourage me.So please comment.Your comments are valuable for me

VIRAL POST

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक )

 श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक ) गीता के अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक सस्कृत ...

सबसे ज्यादा पसंद की गई पोस्ट