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श्रीमद्भगवतगीता का आज के जीवन मे महत्व | गीता का महत्व | Geeta Gyan (अध्याय 1 के 28 से 30 श्लोक )

 श्रीमद्भगवतगीता का आज के जीवन मे महत्व | गीता  का महत्व 


दोस्तों आज के जीवन मे मनुष्य कई कठिनाईयों से गुजर रहा है , वह कई बार फैसले लेने मे असमर्थ होता है ,आप को सही फैसले लेने और सही दिशा दिखने के लिए मैं आप के लिए आज का विचार,सुविचार तथा गीता का महत्व सकन्ध लेकर आई हूँ | Geeta Ka Mahatav हमारे जीवन में बहुत है | हमारे आज के विचार हमारे जीवन पे बड़ा असर डालते हैं  | गीता का महत्व हमारे जीवन मे उतना ही है जितना पानी और भोजन का | गीता का महत्व पढ़ें औए दूसरों को सुविचार दें |

श्रीमद्भगवतगीता का आज के जीवन मे महत्व | गीता  का महत्व  | Geeta Gyan

गीता के अध्याय 1 के 28 से 30 श्लोक सस्कृत में

कृपया परयाविष्टो विषीदत्रिदमब्रवीत्‌ ।
दृष्टेवमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम्‌ ॥ (२८)

सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति ।
वेपथुश्च शरीरे में रोमहर्षश्च जायते ॥ (२९)

गाण्डीवं स्रंसते हस्तात्वक्चैव परिदह्यते ।
न च शक्नोम्यवस्थातुं भ्रमतीव च मे मनः ॥ (३०)


गीता के अध्याय 1 के 28 से 30 श्लोक हिंदी में 


युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इस स्वजन समुदाय को देखकर,कुंती  पुत्र अर्जुन करुणा से अभिभूत हो गए और गहरे दुःख के साथ, निम्नलिखित शब्द बोले (28)

मेरे अंग थके हुए से लग  रहे हैं और मुख सूखा जा रहा है तथा मेरे शरीर में कम्पन्न हो रहा है (29)

मेरा धनुष( गाण्डीव ), मेरे हाथ से फिसल रहा है, और मेरी चमड़ी  जल रही है। मेरा मन दुविधा  में है और भ्रम में घूम रहा है, मैं अब अपने आप को स्थिर रखने में असमर्थ हूं (30)


गीता के अध्याय 1 के 28 से 30 श्लोकों का आज के युग में महत्व हिंदी में

हम चाहते हैं अपनी इच्छानुसार काम करना परन्तु जब हमें पता  चलता है की  आस पास के रिस्तेदार और सगे सम्बन्धी इस के विरुद्ध होंगे तो हमारा मन कुछ उदास हो जाता है और हमारी प्रतिभा छुपी रह जाती है l   


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श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 2 से 3 श्लोक )

 श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 2 से 3 श्लोक )


श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 2 से 3 श्लोक )
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लगभग 5000 वर्ष पहले  युद्ध के मध्य दिया गया एक हिन्दु धर्मोपदेश जिसे 18 अध्यायों और 700 श्लोकों में संजोया गया श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व ,आज भी पूरे विश्व के लिए एक विश्लेषण का विषय है |जब हम  गीता को पढ़ते हैं तो पाते हैं कि यह धर्मोपदेश जो कई बर्षों पहले दिया गया आज के युग में भी उतना ही कारगर है जितना उस समय था |


मैं आप को हर रोज गीता के एक श्लोक का हिन्दी व English अर्थ बताऊँगी व यह भी बताने कि कोशिश करूँगी कि आज के आधुनिक युग में आप इसे कैसे कारगर सावित कर सकते हैं |श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व 

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भगवद्गीता अध्याय 1

श्लोक 2 और 3

संस्कृत


सञ्जय उवाच


दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं 

दुर्योधनस्तदा |

आचार्यमुपसंग्म्य राजा वचनब्रवीत् ||2||


पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं 

चमूम |

व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ||3||

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भगवद्गीता अध्याय 1

श्लोक 1 और 2

हिन्दी में अनुवाद


संजय ने कहा 

दुर्योधन, पाण्डवों की सेना कि व्यूह रचना देखकर ,द्रोणाचार्य के पास जा कर यह वचन बोले || 2||


हे आचार्य ,पाण्डवों कि इस बड़ी भारी सेना को देखिए |

जो आपके शिष्य द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्न द्वारा रचित व्यूह में खड़ी है ||2||


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 भगवद्गीता के अध्याय 1 क 2 और 3 श्लोक का आधुनिक युग में महत्व 


जो भी नकारात्मक विचार हैं ,वह आपके सकारात्मक विचारों कि ताकत का आकलन कर के ही आप पर हावी होते हैं |


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Importance of Adhyay 1, 2 and 3 verses of Bhagavad Gita in the modern era 


Whatever negative thoughts are, they dominate you only by assessing the power of your positive thoughts.


अन्य पढ़ें

1.     गीता ज्ञान (अध्याय 1 श्लोक 4 से 6)

2.     गीता ज्ञान (अध्याय 1 श्लोक 1)


श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 1 श्लोक )

 श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 1 श्लोक )

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 1 श्लोक )


 लगभग 5000 वर्ष पहले युद्ध के मध्य दिया गया एक हिन्दु धर्मोपदेश जिसे 18 अध्यायों और 700 श्लोकों में संजोया गया आज भी पूरे विश्व के लिए एक विश्लेषण का विषय है |श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व ,जब हम गीता को पढ़ते हैं तो पाते हैं कि यह धर्मोपदेश जो कई बर्षों पहले दिया गया आज के युग में भी उतना ही कारगर है जितना उस समय था | मैं आप को हर रोज गीता के एक श्लोक का हिन्दी व English अर्थ बताऊँगी व यह भी बताने कि कोशिश करूँगी कि आज के आधुनिक युग में आप इसे कैसे कारगर सावित कर सकते हैं |

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भगवद्गीता अध्याय 1 श्लोक 1 संस्कृत
 
धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरूक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः || मामकाः पाण्डाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ||

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 भगवद्गीता अध्याय 1 श्लोक 1 हिन्दी में अनुवाद 

 धृतराष्ट्र जी संजय से पूछते हैं,धर्म क्षेत्र कुरूक्षेत्र में युद्ध कि इच्छा में एकत्रित मेरे और पाण्डू के पुत्रों ने क्या किया |

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भगवद्गीता के अध्याय 1 के पहले श्लोक का आधुनिक युग में महत्व


भगवद्गीता के अध्याय 1 के पहले श्लोक का आधुनिक युग में महत्व देखा जाए तो आज के युग में भी , हमारे भीतर अंतरद्वंद चला रहता है, क्या सही रहेगा क्या नहीं , इस दुविधा में हम हमेशा रहते हैं, भले और बुरे का युद्ध हमेशा हमारे भीतर अँगड़ाईयाँ लेता है , इस समय में हम क्या करते हैं, इस से ही हमारा भविष्य निर्धारित होता 
है | 
आप के द्वारा किये काम कि जानकारी आप के वरिष्ट को ,चाहे वह माता-पिता ,अध्यापक या गुरू हों और या तो आपका बॉस ही क्यों ना हो,को अप्रत्यक्ष रूप से मिलती रहती है |

 भगवद्गीता में इस दुविधा का हल अगले आने बाले श्लोकों में मिलेगा |


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Importance of 1st Verse Of Chapter 1 Of Bhagwadgeeta In Modern Era


If we see the importance of the first verse of Chapter 1 of Bhagavad Gita in the modern era, we found that even in today's era, there is a conflict within us, what will be right or not, we are always in this dilemma, the war of good and evil is always within us. What we do in this time determines our future.

The information about the work done by you is indirectly received by your superiors, whether it is a parent, teacher or guru and even if it is your boss.

The solution to this dilemma will be found in the next verses in the Bhagavad Gita.

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