Best Motivational Speech in Hindi | बेहतरीन प्रेरणादायक स्पीच (हम बच्चों को बिगाड़ तो नहीं रहे)
दोस्तों देर से ब्लॉग के लिए माफ़ करें मैं कुछ मुसीबत से गुजर रही हूँ जिस के कारण मैं लिख नहीं पा रही थी ! आज कुछ ऐसा घटा जिसे आप से share करे बिना नहीं रहा गया ! दोस्तों आज का लेख है क्या हम बच्चों को बिगाड़ रहे हैं, मतलब तो आप जान ही गए होंगे !
दोस्तों भारत दुनिया में दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है , यहाँ की जनसंख्या तो बढ़ रही है पर उस के मुताबिक़ साधन नहीं , जिस के चलते आम आदमी को अपनी कुछ जरूरी जरूरतें भी पूरी करने में कई बार कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है !
लेकिन एक बात सोचने की है भारत में कोई गरीब हो या अमीर जब उसके घर में कोई बच्चा जन्म लेता है तो बहुत खुशियाँ मनाई जाती हैं , पार्टियाँ ,सामूहिक भोज , जगराते और पता नहीं क्या क्या ! चलो यह तो किसी का भी निजी मामला है !
भारत में बच्चों की बहुत फ़िक्र करते हैं ! मिट्टी में मत खेलो,बाहर मत जाओ ,मेरा प्यारा बच्चा,किस ने मारा ने मारा मेरे बच्चे को, मैं अपने बच्चे को दूर नहीं रख सकती और पता नहीं क्या क्या ! दोस्तों क्या हम बच्चों की ज्यादा ही फ़िक्र नहीं करते,क्या हम बच्चों को बिगाड़ नहीं रहे हैं !
ये सब बातें मेरे दिमाग में आने का कारण है आज की घटना ! आज मैं अपने बच्चे को स्कूटी पे बिठाकर बाजार की तरफ जा रही थी ! बाजार की तरफ जाते जाते मेरा ध्यान सड़क के किनारे खेल रहे बच्चों की तरफ गया उन्हें ना तो ट्रेफिक का डर , ना कोई उन का ध्यान रखने बाला, मुझे बड़ी फ़िक्र हो रही थी उनकी , मैं उनके बारे में सोचते सोचते चली जा रही थी !मैं लगभग 40-45 की स्पीड़ में चली जा रही थी तभी मेरा ध्यान एक बाईक कि आवाज़ ने तोड़ा , मैं घवरा गयी ! मैंने स्कूटी को जैसे तैसे संभाला और अपने रास्ते हो ली , आगे रास्ता सीधा था तो मैंने भी अपनी स्कूटी की गति बढ़ाई , तभी वो बाईक वाले कहीं पीछे से तेजी से आये और मेरे आगे आकर एकदम ब्रेक लगा दी , अब मैं भी स्पीड़ में थी , पर भगवान का शुक्र है मैं स्कूटी को संभाल पाई और ब्रेक लगा पाई !
मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था , पर ज्यादा ना बोलते हुए मैंने उन्हें बस इतना बोला , "बेटा ध्यान से ड्राईविंग करो , आप के पीछे और भी लोग हो सकते हैं " मेरा इतना कहना था की वो लड़के गुस्से से लाल हो गए ,जैसे उन की अम्मा को मैंने थप्पड़ मार दिया हो और पता है क्या बोले " चल चल अपने रास्ते जा , साइड में लेकर आगे निकल जाओ ,बहुत जगह है "!
उन की यह बात सुनकर मेरी आँखों से आंसू निकल आये , बहुत बेइज्जती महसूस हो रही थी !मेरा सिर घूम रहा था और मैं स्कूटी को चला नहीं पा रही थी ! मै बिना कुछ खरीदे हुए घर लौट आई !
अब मेरे दिमाग में वो दोनों तस्वीरें लौट-लौट कर आ रहीं थी, एक तरफ सुविधाओं से रहित बच्चे और दूसरी तरफ वो बच्चे जिन के माता पिता उन का बहुत ख्याल रखते हैं !अब आप लोग ही उत्तर दीजिये क्या हम बच्चों को बिगाड़ रहे हैं??
मेरा कहना तो इतना ही है बच्चों की उतनी ही जरूरतें पूरी करो की वे बिगड़ें ना , उन्हें आदमियों में रहना सिखायें , उन्हें जीवन के उसूल सिखाएं , खाने ,पहनने,चलने और दूसरों से व्यवहार का तरीका सिखाएँ ,सुबह जल्दी उठना , स्कूल का काम पूरा करना ,पढ़ाई के महत्त्व के साथ-साथ कमाई का महत्त्व भी उन्हें सिखाएं !वरना कहीं ऐसा ना हो, परिणाम आप को ही भुगतना पड़ जाए !
पर हमारे पास तो पैसा है , तुम कौन होती हो सिखाने वाली, हमारे बच्चे हैं , हम तो इन की हर जरूरत पूरी करेंगे , समय आने पर खुद ही सीख लेंगे ये सब बातें आप लोगों में से अधिकतर के मन में आ रहीं होंगीं !
इसमें आप का घाटा मेरा कुछ नहीं जाता !
जो मन में आये Comment जरूर करें !मेरी कोई बात बुरी लगी हो तो माफ़ करें पर एक बार सोचें जरूर !इसे Share जरूर करें ताकि यह बात उस बाईक वाले तक तो पहुँच ही जाए !
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