Aaj Ka Vichaar | आज का विचार ( खुद को बदलो )

 Aaj Ka Vichaar | आज का विचार ( खुद को बदलो गलतियाँ ) 


Vichaar बनाए जिन्दगी और उन विचारों में Suvichaar होना बहुत जरूरी हैं | रोज पढ़ें Aaj Ka Vichaar और जीवन में प्रसन्नता लाएँ | आज का विचार आप कि जिन्दगी बदल सकता है अगर ढंग से विचार का अनुसरण किया जाए |

Aaj Ka Vichaar | आज का विचार ( खुद को बदलो गलतियाँ )



आज का विचार हिन्दी में || Aaj Ka Vichaar in Hindi


आप के वरिष्ठों ने आप से ज्यादा दुनिया देखी हुई है,

अत: उन कि गलती निकालने से अच्छा खुद में 

बदलाव लाएँ ||


Today's Thought in English || Aaj ka Vichaar in English


Your superiors have seen more world than you, Therefore, it is better to bring change in yourself than to find fault in them.



अन्य पढ़ें 

1.     दुख क्या है 

2.     दुलार बड़ा या दंड

Aaj Ka Jeevan Mantra | आज का जीवन मंत्र (दुलार बड़ा या दण्ड)

 Aaj Ka Jeevan Mantra | आज का जीवन मंत्र (दुलार बड़ा या दण्ड)


आज का जीवन मंत्र ब्लॉग के इस स्कंध में मैं आप को विभिन्न भारतीय लेखों से लिए जीवन मंत्र बताऊँगी |जीवन मंत्र के रोज पढ़ने पर जीवन में बदलाव जरूर पाओगे | Aaj Ka Jeevan Mantra यह स्कंध आप के जीवन को बदलवे के लिए है |आज का Life Mantra हिन्दी व English  दोनों में आप को मिलेगा |


Aaj Ka Jeevan Mantra | आज का जीवन मंत्र (दुलार बड़ा या दण्ड)


Aaj Ka Jeevan Mantra in Sanskrit || आज का जीवन मंत्र संस्कृत में 



लालनाद्वहवोदोषास्ताड़नाद्वहवोगुणा ||

तस्मात्पुत्रंचशिष्यंचताड़येन्नतुलालयेत् ||



Aaj Ka Jeevan Mantra in Hindi || आज का जीवन मंत्र हिन्दी में 


दुलारने में बहुत दोष हैं और दण्ड में बहुत गुण अत: पुत्र व शिष्य दोनों को दुलारने से दण्ड अच्छा है |



Life Mantra in English || आज का जीवन मंत्र अँग्रेजी में


There are many defects in caressing and many virtues in punishment, so punishment is better than caressing to both the son and the disciple.


अन्य पढ़ें 

1.     खुद को बदलो 

2.     अपने लिए जियो 




Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (अँधकार)

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (अँधकार)


दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो ना खुश रहते हैं और ना दूसरों को रहने देते हैं |


Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (अँधकार)


"अँधकार"


पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार |

बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार ||


इक दूजे कि तरक्की,ना पच रहा व्यापार |

बस धकेलने लग जाते,ना भाता उद्धार ||

गरीब का बनाते मज़ाक,अमीरों से रहते बेजार |

खुद की पता नहीं,दूजे कि नार खराब ||



पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार |

बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार ||



दूजे कि खुशी से ,डूबे पड़े हैं दु:ख में ,

अन्दर की पीड़ा नजर आ ही जाती नज़र में ||

दो दिन की जिन्दगी ,की इर्षर्या अंगीकार ,

दो कौड़ी का मेला,छूटे ना अहंकार ||



पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार |

बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार ||



ना उस की खुशी,ना तरक्की स्वीकार ,

ना उस का ज्ञान,ना प्रसिद्धि स्वीकार |

खोदने लगे हैं खाईयाँ इक दूजे कि राहों में  |

कुछ भी कर लो,

इक दिन समा जाओगे धरती माँ कि बाहों में ||



पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार |

बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार ||

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1.      इज्जत फौजी की 

2.      क्या माफी होगी 





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