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Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (अँधकार)

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (अँधकार)


दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो ना खुश रहते हैं और ना दूसरों को रहने देते हैं |


Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (अँधकार)


"अँधकार"


पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार |

बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार ||


इक दूजे कि तरक्की,ना पच रहा व्यापार |

बस धकेलने लग जाते,ना भाता उद्धार ||

गरीब का बनाते मज़ाक,अमीरों से रहते बेजार |

खुद की पता नहीं,दूजे कि नार खराब ||



पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार |

बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार ||



दूजे कि खुशी से ,डूबे पड़े हैं दु:ख में ,

अन्दर की पीड़ा नजर आ ही जाती नज़र में ||

दो दिन की जिन्दगी ,की इर्षर्या अंगीकार ,

दो कौड़ी का मेला,छूटे ना अहंकार ||



पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार |

बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार ||



ना उस की खुशी,ना तरक्की स्वीकार ,

ना उस का ज्ञान,ना प्रसिद्धि स्वीकार |

खोदने लगे हैं खाईयाँ इक दूजे कि राहों में  |

कुछ भी कर लो,

इक दिन समा जाओगे धरती माँ कि बाहों में ||



पागल भई दुनिया,मान्सिक्ता हुई बिमार |

बस लूट घसूट मची पड़ी,कैसा है अन्धकार ||

अन्य 

1.      इज्जत फौजी की 

2.      क्या माफी होगी 





Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (क्यों है बेचारा यह दिल)

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (क्यों है बेचारा यह दिल)

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |

क्यों है बेचारा यह दिल

अकेला है तू ,नहीं मिल रहा है कोई,
बस खुद को गुम पाया,जब नज़र दौड़ाई |

सब कोई खुश हैं ,मस्त है हर कोई,
उसे भी दुःखी पाया,जब उस ने नज़र झुकाई |

घर से लाई रोटियों को खा रहा था कोई,
पास गया तो पाईं उस की भी आँखें रोईं,

गम दबा रहा था कोई ,हँसी में,
कोई भुला रहा था गम ,बातें कर कर,
कोई चुप सा बैठा था कोने में,
तो किसी की गुजर रही थी सोने में |

बस यही है सफर यही है कहानी,
जिसे सुनोगे हर दूर जाने बाले कि जुवानी |


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