Hindi Kavita |हिन्दी कविता (बिमारी )

Hindi Kavita |हिन्दी कविता (बिमारी )

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |


बिमारी 
Hindi Kavita |हिन्दी कविता (बिमारी )

हाय ये कैसी आई बिमारी |
बिस्तर पर सोए - सोए पीठ दु:ख गई सारी ||


कभी बराम्दे में कभी आँगन में |
कभी सोने में कभी जागन में ||
कभी कुर्सी पर कभी सोफे पर |
कभी बैंच पर कभी धरती पर ||


घड़ी कटती नहीं है सारी |
हाय ये कैसी आई बिमारी |
बिस्तर पर सोए - सोए पीठ दु:ख गई सारी ||


समार्टफोन से थक गए |
टीवी से भी पक गए ||
टाईम न गुजर |
सो सो के भी थक गए ||


घर पर रहना कितना है भारी |
हाय ये कैसी आई बिमारी |
बिस्तर पर सोए - सोए पीठ दु:ख गई सारी ||


घरवाली रहती मीटर दूर |
बच्चे भी रहें दूर दूर ||
रोटी भी दूर से ही खिलाई जाती |
बाहर जाने पर लट्ठ बजाती ||


दुनियां  बनी पड़ी है बेचारी |
हाय ये कैसी आई बिमारी |
बिस्तर पर सोए - सोए पीठ दु:ख गई सारी ||


घर भी रह लेंगे, भूख भी सह लेंगे |
दूर-दूर रहने का दुःख भी सह लेंगे ||
सरकार कि मदद करो, बिमारी से दूर रहेंगे |


हाय ये कैसी आई बिमारी |
बिस्तर पर सोए - सोए पीठ दु:ख गई सारी ||

अन्य कवितायें 


Hindi Kavita | हिन्दी कविता (दु:खी दिल)

Hindi Kavita | हिन्दी कविता (दु:खी दिल) 
Hindi Kavita | हिन्दी कविता   (दु:खी दिल)

दिक्खो यारो कदेही आई बमारी |
मंजे पर बैठे-बैठे पिट्ठ दु:खि गई  सारी ||


कदी बराँडे च, कदी अंगणे च, 
कदी सोणे च कदी जगणे च |
कदी कुर्सिया पर, कदी सोफे पर, 
कदी मंज्जे पर,कदी बिन्ने पर ||


घरें पए ने सारे नर नारी,
दिक्खो यारो कदेही आई बमारी |
मंजे पर बैठे-बैठे पिट्ठ दु:खि गई  सारी ||

समार्टफोने ते भी पक्की गए, 
टीविए दिखी-दिखी अक्की गए |
टैम गुजरी नी करदा, 
सोई -सोई भी थक्की गए ||


घरें रैहणा भी ए बड्डा ही भारी, 
दिक्खो यारो कदेही आई बमारी |
मंजे पर बैठे-बैठे पिट्ठ दु:खि गई  सारी ||


लाड़ी रैंहदी मीटर दूर, 
बच्चे भी रैंदे दूर-दूर |
रोटी भी मीटर दूरे ते सुटदी,
बार जाणेओ बोलदा ताँ सोठे नैं कुटदी ||


इनी बमारिएं दुनियाँ बणाइति बचारी, 
दिक्खो यारो कदेही आई बमारी |
मंजे पर बैठे-बैठे पिट्ठ दु:खि गई  सारी ||

घरें भी रही लैंगे, भुक्ख भी सही लैंगे |
दूर-दूर रैणे दा दु:ख भी सही लैंगे ||
दोस्तों सरकारा दी मदद करा, ताँ ही असे बमारिया ते दूर रैंगे ||

दिक्खो यारो कदेही आई बमारी |
मंजे पर बैठे-बैठे पिट्ठ दु:खि गई  सारी ||

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