Hindi Kavita | हिन्दी कविता (बाप)

Hindi Kavita | हिन्दी कविता (बाप) 

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |

बाप 

Hindi Kavita | हिन्दी कविता (बाप)

बाप वह शब्द है, जिस का नहीं है सानी |
माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी ||


प्यारा बेटा माँ का, बाप नहीं दुलारता |
क्या इसी से तोल करोगे, बाप के उस प्यार का ||
क्या कहुँ मैं, क्या करूँ ,एैसे इस समाज का |
फर्क पड़ता है, बाप के साथ का ||


किसी ने नहीं कही, बाप कि कोई कहानी |
माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी ||


बॉर्डर पर रह के भी, चिट्ठियाँ वो लिखता था |
पढाई  का ध्यान रखना, हर वक्त वो कहता था ||
दो थप्पड़  प्यार से बच्चों को मार देना |
बाप तुमको याद करे, मेरा भी दुलार देना ||


तेरे संग रहने से, नहीं थी कोई हानी |
माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी ||


मेरे लिखे पेपरों को, देखता था पढ़ता था |
मेरे बच्चे सा कोई ना, तूने बस यही कहा था ||
डाँटता था मारता था, जोर से पुकारता था |
इसी से सुधरेगा, तू ये सब जानता था ||


बुरी जरूर लगती थी, तेरी वो कठोर वाणी |
बाप वह शब्द है, जिस का नहीं है सानी ||


जिस चीज़ कि चाह थी, उस ने सब ला के दिए |
एैनक नहीं ले सका वो अपनी आँखों के लिए ||
बाप बस जीता है ,अपनों के ही लिए |
पैसे नहीं खर्चे थे, हार्मोनियम के लिए ||


बाप कि महिमा लो सुनो मेरी जुबानी |
माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी ||

बाप है तो हर पल, पूरे होते सपने हैं |
बाजार में जो पड़े हैं, वो खिलौने अपने हैं ||
खुद भूखा रह के भी, खाना वो खिला ही देगा |
छुपा के आँसुओं को हमको हँसा ही देगा ||



जन्म देती है माँ, पालता पिता है |
माँ के सुहाग का अहंकार पिता है ||
पिता नहीं तो कुछ भी नहीं |
माँ के गहनों का अलंकार पिता है ||

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आज गाँधी चौक में कुछ खाने पीने का सामान लेने गई थी |वहीं एक मज़दूर खड़ा दिखा, ना तो कुछ खरीद रहा था और ना ही अपनी जगह से हिल रहा था |

मेरी नज़र जैसे ही उस पर पड़ी ,उस के बेजान से शरीर में जैसे फूर्ति का उदगार हो गया हो |वह मेरे पास आकर बोला बहन जी कुछ काम है क्या, कुछ ले के जाना है क्या |मेरे पास कोई काम नहीं होने पर भी मैने सब्जी बाली थैलियां उसे पकड़ा दीं |

घर पहुँचने पर मैंने पूछा, भैया कितने पैसे दूँ |वह बोला बहन जी आप ने बस मेरी बेबसी देखकर मुझे ये थैलियां दे दीं जो आप खुद भी ला सकतीं थीं |कुछ देने कि जरूरत नहीं  |

मैं उसे देखकर सोच में पड़ गई, कितना कुछ है इस गरीब के पास, हम लोग तो धैर्य और इनसानियत ये सब भूल चुके हैं |

मैने फिर भी  उस से पूछा तो वह बोला बहन कुछ खाने को दे दो |मेरा परिवार भूखा है और मैं ही घर पर एक कमाने बाला हूँ |

हम लोग घर पर बच्चों के लिए सब कुछ ईक्ट्ठा कर के रखते हैं और कुछ एैसे भी हैं जिन को जो मिला वो खाया, नहीं मिला तो ना सही |

मैने उसे खाने के सामान देकर पूछा,क्या तुम्हें रोज काम मिल जाता है|तो वह बोला "बहन गरीब हूँ ,पढाई की नहीं, तो मज़दूरी के अलावा कुछ आता नहीं |रोज चौक पर खड़ा रहता हूँ कभी कभार काम मिल जाता है तो उस दिन घर में दीपावली हो जाती है और काम न मिलने पर भी कोई आप जैसा मिल जाता है ,पर मैं भीख नहीं लेता और ना ही माँगता हूँ,क्योकि आज कल लोग मदद के लिए तो आते हैं पर मदद करते करते वीडिओ,फोटो लेकर मजाक बनाकर चले जाते हैं|

मैं एक खुद्दार पिता हूँ ,कोई बार बार आकर मेरी गरीबी का मजाक बनाए या कोई मुझे दया भरी नजरों से देखे यह मुझे मंजूर नहीं |इसीलिए काम करता हूँ और जो मिले उसी से गुजारा करता हूँ |

उस की बात सुनकर मैं अन्दर तक हिल चुकी थी क्योकि मैने भी मदद के बहाने कईयों के फोटो खींचकर मज़ाक बनाया था |आज के आज ही मैने वो सारे वीडिओ और फोटो डिलीट मार दिए |नेकी कर दरिया में डाल ज मेरी समझ में आया था |

गरीब हूँ पर लाचार नहीं, 
खाता हँ हाथों से पका सकूँ वही |
जाने कब समझेगा समाज, 
क्याें उड़ता है हमारा मज़ाक ||


कुछ youtube, so called social workers को मेरी बात कड़बी लगी हो तो माफ करना |

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