श्रीमद्भगवतगीता का महत्व | Geeta Ka Mahatav ( अध्याय 1 के 7 से 11 श्लोक )
दोस्तों आज के जीवन मे मनुष्य कई कठिनाईयों से गुजर रहा है , वह कई बार फैसले लेने मे असमर्थ होता है ,आप को सही फैसले लेने और सही दिशा दिखने के लिए मैं आप के लिए आज का विचार,सुविचार तथा गीता का महत्व सकन्ध लेकर आई हूँ | Geeta Ka Mahatav हमारे जीवन में बहुत है | हमारे आज के विचार हमारे जीवन पे बड़ा असर डालते हैं | गीता का महत्व हमारे जीवन मे उतना ही है जितना पानी और भोजन का | गीता का महत्व पढ़ें औए दूसरों को सुविचार दें |
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गीता के अध्याय 1 के 7 से 11 श्लोक संस्कृत में
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायका मम सैन्यस्य सञ्ज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते॥1-7॥
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् ॥1-10॥
अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि॥1-11॥
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गीता के अध्याय 1 के 7 से 11 श्लोक हिन्दी में | गीता महत्व
हे ब्राह्मणों के पूज्य ,हमारी तरफ से युद्ध मे जो शामिल हैं उन्हे आप समझ लीजिये | मेरी सेना के जो जो सेनापति हैं ,उनको भी मैं
बतलाता हूँ ||7||
इस युद्ध में आप द्रोणाचार्य ,पीतमाह भीष्म ,कर्ण ,और कृपाचार्य ,अश्वथामा ,विकर्ण
और सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा है ||8||
कई तरह की शस्त्रविद्या और युद्धकला मे निपुण और भी बहुत से
शूरवीर हैं जो मेरे लिए प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार हैं ||9||
भीष्म द्वारा रक्षित हमारी सेना को जीतना मुश्किल है, वहीं भीम द्वारा रक्षित इन लोगों की सेना
को जीतना आसान है ||10||
अतः आप सभी लोग मोर्चों पर अपनी अपनी जगह रहते हुए सभी तरह से
भीष्मपितामह की ही रक्षा करें ||11||
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गीता के अध्याय 1 के 7 से 11 श्लोकों का आज के युग मे महत्व हिन्दी में | गीता महत्व
दुष्ट प्रकृति के व्यक्ति को हमेशा लगता है की वह ही केवल
अजय है और अन्य जो उस की विरोधी प्रकृति है उसे जीतना आसान है | इस का अर्थ हुआ, कि
आप अगर दुष्ट भावनाओं को सुदृढ़ करते हैं तो आप के अंदर कि सकारत्मक भावनाएं समाप्त
हो जाएंगी |
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