आज का सुविचार । Aaj ka Suvichar , धन और भोजन

 आज का सुविचार । Aaj ka Suvichar


दोस्तों आज के जीवन मे मनुष्य कई कठिनाईयों से गुजर रहा है , वह कई बार फैसले लेने मे असमर्थ होता है ,आप को सही फैसले लेने और सही दिशा दिखने के लिए मैं आप के लिए आज का विचार,सुविचार तथा Sundar Vichar सकन्ध लेकर आई हूँ | Suvichar हमारे जीवन में बहुत है | हमारे आज के विचार हमारे जीवन पे बड़ा असर डालते हैं  | Vichar हमारे जीवन मे उतना ही है जितना पानी और भोजन का | Vichar पढ़ें औए दूसरों को सुविचार दें |



धन कमाना और भोजन खरीद कर खाना आसान है ,
पर
धन को अपने हाथों से परिवार के लिए खर्च करना और

अपनों के साथ बैठकर भोजन करना किसी भाग्यशाली को ही मिलता है |


आज का सुविचार । Aaj ka Suvichar , धन और भोजन



 

श्रीमद्भगवतगीता का महत्व | Geeta Ka Mahatav (अध्याय 1 के 12 से 19 श्लोक )

श्रीमद्भगवतगीता का  महत्व | Geeta Ka Mahatav (अध्याय 1 के 12 से 19 श्लोक )

दोस्तों आज के जीवन मे मनुष्य कई कठिनाईयों से गुजर रहा है , वह कई बार फैसले लेने मे असमर्थ होता है ,आप को सही फैसले लेने और सही दिशा दिखने के लिए मैं आप के लिए आज का विचार,सुविचार तथा गीता का महत्व सकन्ध लेकर आई हूँ | Geeta Ka Mahatav हमारे जीवन में बहुत है | हमारे आज के विचार हमारे जीवन पे बड़ा असर डालते हैं  | गीता का महत्व हमारे जीवन मे उतना ही है जितना पानी और भोजन का | गीता का महत्व पढ़ें औए दूसरों को सुविचार दें |


श्रीमद्भगवतगीता का  महत्व | Geeta Ka Mahatav (अध्याय 1 के 12 से 19 श्लोक )

गीता के अध्याय 1 के 12 से 19 श्लोक संस्कृत में | गीता महत्व



तस्य संजनयन्हर्ष कुरुवृद्ध: पितामह: |
सिंहनादं विनद्योच्चै: शख्ङं दध्मौ प्रतापवान् ||1,12||

तत: शाख्ङश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखा: ।
सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत् ||1,13||

तत: श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ ।
माधव: पाण्डवश्चैव दिव्यौ शख्ङौ प्रदध्मतु: ||1,14||

पाज्चजन्यं ह्रषीकेशो देवदत्तं धनंजय: ।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशख्ङं भीमकर्मा वृकोदर: ||1,15||

अनन्तविजयं राजा कुन्ती पुत्रो युधिष्ठिर: ।
नकुल: सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ ||1,16||

काश्यश्च परमेष्वास: शिखण्डी च महारथ: ।
धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजित: ||1,17||

द्रुपदो द्रौपदेयाश्चे सर्वश: पृथिवीपते ।
सौभद्रश्च महाबाहु: शख्ङान्दध्मु: पृथक्पृथक् ||1,18||

स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत् ।
नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन् ||1,19||




गीता के अध्याय 1 के 12 से 19 श्लोक हिन्दी में | गीता महत्व


पितामह भीष्म ने दुर्योधन के हृदय में खुशी उत्पन्न करते हुए उच्च स्वर से शेर की दहाड़ के समान गरजकर शंख बजाया ||1,12||

इसके बाद शंख ,नगारे तथा ढोल, मृदंग और नरसिंघे आदि एक साथ ही बज उठे । वह शोर बड़ा ही भयंकर हुआ ||1,13||

इसके अनन्तर सफ़ेद घोडों से युक्त रथ में बैठे हुए श्रीकृष्ण महाराज और अर्जुन ने भी अलौकिक शंख बजाये ||1,14||

श्रीकृष्ण महाराज ने पाज्चजन्य , अर्जुन ने देवदत्त और भयानक कर्म वाले भीम ने पौण्ड्रक नामक क महाशंख बजाए ||1,15||

कुन्ती पुत्र राजा युधिष्ठिर ने अनन्त विजय , नकुल तथा सहदेव ने सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख बजाये ||1,16||

श्रेष्ठ धनुष वाले काशिराज, महारथी शिखण्डी,धृष्टद्युम्न , राजा विराट और अजेय सात्यकि ||1,17||

राजा द्रुपद , द्रौपदी के पाँचों पुत्र और बड़ी भुजावाले सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु ने हर तरफ से अलग-अलग शंख बजाये ||1,18||

और उस भयानक घोष ने धृतराष्ट्र का हृदय विदीर्ण कर दिया तथा आकाश और पृथ्वी को भी गुंजाएमान कर दिया ||1,19||



---------------------------------------





गीता के अध्याय 1 के 12 से 19 श्लोकों का आज के युग मे महत्व हिन्दी में | गीता महत्व


नकारात्मकता हमेशा हावी होने की कोशिश करती है अतः जब भी मन में निराशा आने लगे तब अडिग होके खड़े हो जाओ और आशा की किरण के साथ एक ऐसा जयघोष करो की पूरा ब्रह्मांड आप के आगे झुक जाये और आप अपना उद्देश्य हासिल कर सको |




अन्य पढ़ें

1.     धन और भोजन 

2.     चलता चला गया 



VIRAL POST

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक )

 श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक ) गीता के अध्याय 1 के 31 से 34 श्लोक सस्कृत ...

सबसे ज्यादा पसंद की गई पोस्ट