Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (आसमां छू लेंगें )

 Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (आसमां छू लेंगें )


दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |


आसमां छू लेंगें 


Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (आसमां छू लेंगें )

Photo by Nathan Cowley from Pexels

कभी सोचा आसमां छू लेंगे ,

कभी सोचा जहान जीत लेंगे ,

कभी सोचा आसमां छू लेंगे ,

कभी सोचा जहान जीत लेंगे ,

बस सोच सोच में ही रह गई ,

किसी का समय किसी की उम्र गुजर गई | 

दूसरे की झोली ज्यादा रही ,

अपनी कम ही रही ,

दिन रात की सोच में जिंदगी दफ़न सी रही ,

कुछ किया भी नहीं ,

जिंदगी जिया भी नहीं ,

कहीं समय ,उम्र खत्म हो गयी कहीं ||


Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (ना जाने किस के लिए )

  Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (ना जाने किस के लिए )

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |


Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (ना जाने किस के लिए )
Photo by Tom Swinnen from Pexels


ना जाने किस के लिए 


जमाने  भर से लड़ रहा ,
ना जाने किस के लिए | 
धूप  छाँव की परवाह ना कर रहा ,
ना जाने किस के लिए | 



मेरे होने से भी सब है ,
ना होने से भी सब होगा | 
हर इच्छा को दबा रहा ना जाने किस के लिए || 



कुछ खुशियाँ हैं मेरी ,
कुछ गम भी होंगे | 
खुशियाँ परे रख ,सब गम सह रहा ,
ना जाने किस के लिए | 



कभी तो छाँव होगी ,
जहाँ धुप है अभी | 
किसी आशा में चल रहा,
ना जाने किस के लिए | 


Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (साहब खिलाफ है )

 Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (साहब खिलाफ है )

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |

साहब खिलाफ है |

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (साहब खिलाफ है )
खिलाफ है साहब अगर,तो क्या है |
जीवन भर का नाम थोड़े ही है ||
जो पाएगा हमी से पाएगा |
है तो इन्सान ही, हैवान थोड़े ही है ||


कुछ पल काटने आया है, सुख के |
दिखता है, मगर परेशान थोड़े ही है ||
हवाओं में वो भी टिक नहीं पाएगा |
बादल है, ब्रहमाण्ड थोड़े ही है ||


जब लगेगी आग तो अपने ही पाओगे पास |
यह प्यार है, अधिकार थोड़े ही है ||
बहेंगे आँसू टपकेगा लहू |
उस के ना बहें,वो चट्टान थोड़े ही है ||


जुबान है बुरी, खानदान का प्रदर्शन है |
सब को बाँटा जाए, वह ज्ञान थोड़े ही है ||
कुँए से बाहर छटपटा जाएगा |
मछली है, मगर थोड़े ही है ||

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