काम की शायरी, हिन्दी शायरी,उर्दू शायरी,प्यार शायरी l Shyari In Hindi,Love Shyari,Best One Shyari(दो घूंट)

काम की शायरी, हिन्दी शायरी,उर्दू शायरी,प्यार शायरी l Shyari In Hindi,Love Shyari,Best One Shyari(दो घूंट)

काम की शायरी, हिन्दी शायरी,उर्दू शायरी,प्यार शायरी l Shyari In Hindi,Love Shyari,Best One Shyari(दो घूंट)

आज तो दो घूंट पी ही लूंगा ,
दोस्तों संग महफिल सजी 
है ,आज जी ही लूंगा l
आज कोई रोकना ना मुझे,
नया साल है,आज पहली 
और आखरी 
बार पी ही लूंगा l

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दुख का एक पल भी आपके 
पास न आए, दुआ है मेरी 
कि ये साल आपके लिए 
कुछ तो खास हो जाए l

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दुख का एक पल भी आपके 
पास न आए, दुआ है मेरी 
कि ये साल आपके लिए 
कुछ तो खास हो जाए l

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पुराने समय से सीख,नए में 
इस्तेमाल कर ,अब खुश
हो जा तू दुखों को भूलकर l
साल आते और जाते रहेंगे,
बस नई मंजिलों की चाह कर l

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हर नज़र से बचें आप,
हर चीज मिले आप को l
कोई भी दुश्मनी ना रहे,
भगवन सारी खुशियां दे 
आप को l

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हवाओं में खुश्बू और 
फिजाओं में रवानी रहे,
मेरी दुआओं का असर
और आप के होंठों पे 
हंसी रहे l

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मेरे दिल को मेरी आंखों से 
जलन होती है , क्योंकि आप 
की तस्वीर दिल में पहुंचने 
से पहले आंखों से गुजरती है l

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मैं चलूं जहां तक तुम चलो,
मैं देखूं,जहां तक तुम चलो,
बहुत सुंदर है ये जहां,
पर सुंदरता वहीं तक है,
जहां तक तुम चलो l

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सीने से लगाकर तुम बस 
इतना कह देना l जिंदगी
भर मुझे अपने दिल में रहने
देना l

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मुझ से जलने वाले भी अलग 
मतवाले हैं,
मुझे देखना नहीं चाहते
फिर भी नजर मुझ पर 
ही रखवाते हैं l

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हां नफरत है तुम्हें मुझ से,
पर जितना तुम बैर
रखते हो उतनी ही चाह है
हमें तुम से l

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पैगाम मिल जाता है हमें तुम्हारी
नफरतों का , चाहते हो हम दूर
चले जाएं l 
बस इतना करना 
नजर हम ही पे रखना ,कहीं दूसरों
पे नज़र जाते ही हम ही अच्छे
ना लग जाएं l

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मेरे चलने पे नज़र है तुम्हारी ,
मेरे सोने और जागने पे नज़र
है तुम्हारी l 
पता है हमें नफरत 
करने हो हम से ,पर हमारे हर 
पल पे क्यों नजर है तुम्हारी l

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गुजरते हो सामने से तो मुंह
मोड़ लेते हो l आंखें मिलते ही
नजर फेर लेते हो l 
बस इतना 
बता दो नफरत है हम से या
कुछ दिल में छुपाते हो l 

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सोच क्या बोलना चाहता हूं मैं ,
जो तेरे दिल में
है, उसी बात पे तुझे
उकसाना चाहता हूं मैं l

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निकली थी जब तुम घर 
से बन ठन के,जब तुम गली 
से गुजर रही थी l
तेरी नजरें घूमी थीं जहां
मेरी नजर भी वहीं पर थी l

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कुछ भी कह देते हो तुम,
सोच तो लिया करो l
बाद में पछताने से पहले
कुछ तो बोल तोल लिया करो l

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में डर जाता हूं जब तुम 
इस से बात करती हो,
यह जानते हुए भी ,की तुम
हमारी ही जान लगती हो l

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तारे गिन डाले सारे,
सारी बूंदें गिन डालीं l
बस तेरी हां के इंतजार 
में अनगिनत करवटें
बदल डालीं 

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कैलाश मानसरोवर झील का इतिहास l History of Kailash Mansarovar Lake

कैलाश मानसरोवर झील का इतिहास l History of Kailash Mansarovar Lake 



पुराणों ने कहा क्षीरसागर,
यही वीराजे विष्णु जी शेष शैय्या पर ।
उत्तर में जिसके कैलाश, दक्षिण में है राक्षस ताल,
शक्तिपीठों में एक, देवी सती का यही गिरा दांया हाथ ।
ब्रह्मा ने जिसे बनाया ,आती जहां शिव डमरू की आवाज,
पाप सारे कटे यहां, यही है धरती का स्वर्ग महान।
भागीरथ की फली तपस्या, चाहते थे करना दूर अंधकार,
शिव ने प्रकट हो, जलधार को किया स्वीकार।।

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श्रीमद्भगवतगीता का महत्व | Geeta Ka Mahatav| गीता ज्ञान |Gita Significance(अध्याय 1 के 20 से 27 श्लोक )

 श्रीमद्भगवतगीता का  महत्व | Geeta Ka Mahatav| गीता ज्ञान |Gita Significance(अध्याय 1 के 20 से 27 श्लोक )

दोस्तों आज के जीवन मे मनुष्य कई कठिनाईयों से गुजर रहा है , वह कई बार फैसले लेने मे असमर्थ होता है ,आप को सही फैसले लेने और सही दिशा दिखने के लिए मैं आप के लिए आज का विचार,सुविचार तथा गीता का महत्व सकन्ध लेकर आई हूँ | Geeta Ka Mahatav हमारे जीवन में बहुत है | हमारे आज के विचार हमारे जीवन पे बड़ा असर डालते हैं  | गीता का महत्व हमारे जीवन मे उतना ही है जितना पानी और भोजन का | गीता का महत्व पढ़ें औए दूसरों को सुविचार दें |

श्रीमद्भगवतगीता का  महत्व | Geeta Ka Mahatav| गीता ज्ञान |Gita Significance


गीता के अध्याय 1 के 20 से 27 श्लोक संस्कृत में | गीता महत्व


अथ व्यवस्थितान्दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान्‌ कपिध्वजः ।
प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः ॥ (20)

हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत ॥ (21)

यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान्‌ ।
कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन् रणसमुद्यमे ॥ (22)

योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः ।
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः ॥ (23)

एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम्‌ ॥ (24)

भीष्मद्रोणप्रमुखतः सर्वेषां च महीक्षिताम्‌ ।
उवाच पार्थ पश्यैतान्‌ समवेतान्‌ कुरूनिति (25)

तत्रापश्यत्स्थितान्‌ पार्थः पितृनथ पितामहान्‌ ।
आचार्यान्मातुलान्भ्रातृन्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा ॥ (26)

श्वशुरान्‌ सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि ।
तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्‌ बन्धूनवस्थितान्‌ ॥ (27)


गीता के अध्याय 1 के 20 से 27 श्लोक हिन्दी में | गीता महत्व

तदन्तर हनुमान से अंकित पताका वाले रथ पर आरूढ़ पाण्डु पुत्र अर्जुन ने धनुष उठाकर तीर चलाने की तैयारी के समय धृतराष्ट्र के पुत्रों को देखकर सर्वस्व ज्ञाता श्री कृष्ण से प्रार्थना करते हुए कहा कि हे अच्युत! कृपा करके मेरे रथ को दोनों सेनाओं के बीच में खडा़ करें। जिससे मैं युद्धभूमि में उपस्थित युद्ध की इच्छा रखने वालों को देख सकूँ कि इस युद्ध में मुझे किन-किन से एक साथ युद्ध करना है। (20-22)

मैं उनको भी देख सकूँ जो , यहाँ पर धृतराष्ट् के दुर्बुद्धि पुत्र दुर्योधन के हित की इच्छा से युद्ध करने के लिये इक्ट्ठा हुए हैं। (23)

अर्जुन द्वारा इस प्रकार कहे जाने पर श्रीकृष्ण जी ने दोनों सेनाओं के बीच में उस उत्तम रथ को खड़ा कर दिया। (24)

इस प्रकार भीष्म पितामह, आचार्य द्रोण तथा संसार के सभी राजाओं के पास जाकर श्रीकृष्ण जी कहा कि हे पार्थ! युद्ध के लिए एकत्रित हुए इन सभी कुरु वंश के सद्स्यों को देख। (25)

वहाँ अर्जुन ने अपने ताऊओं-चाचाओं , दादों-परदादों , गुरुओं , मामाओं , भाइयों , पुत्रों , पौत्रों और मित्रों को देखा। (26)

कुन्ती-पुत्र अर्जुन ने ससुरों को और शुभचिन्तकों सहित दोनों तरफ़ की सेनाओं में अपने ही सभी सम्बन्धियों को देखा। (27)

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गीता के अध्याय 1 के 20 से 27 श्लोकों का आज के युग मे महत्व हिन्दी में | गीता महत्व

जब आप सभी ने मन में जीत का प्रण कर लिया है तो एक बार अपनी कमजोरियों और अवगुणों पर भी ध्यान दो | एक बार देख लो कि आप के यह शत्रु कितने बलशाली हैं और आप को किस के साथ युद्ध करना है और उसी के अनुरूप तैयारी रखो |




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