हास्य व्यंग्य शायरी | Hasya Shyari (Moon Shyari)

हास्य व्यंग्य शायरी | Hasya Shyari (Moon Shyari)



Moon Shyari
हास्य व्यंग्य शायरी | Hasya Shyari (Moon Shyari)


1

चाँद चढ़ आया फलक पे, रात घिर आई है |
रोम रोम फड़क रहे, मस्ति सी छाई है |
दिल में जो है आज सब को सुनाइए |
बड़ी मुद्दतों के बाद ये शाम आई है |

2

चाँद कि चाँदनी में जगमगा उठा है ये समा, 
मुम्किन नहीं था यह आप के बिना, 
चारों तरफ से नजरें हटाकर यहाँ भी देखिए हुज़ूर|
जो आज है वो कल ना होगा समा |

3

फूल कि कलियाँ तोड़ता गया, 
मिलेगी जीने कि वजह यह सोचकर, 
मतलबी ये दुनियां, कुछ ना होगा खोकर, 
ऱुक गई उँगलियाँ अंतिम कली पर, 
जितनी भी जिन्दगी है, हँस के व्यतीत कर, 
अंत में रोना ना पड़े नसीब पर |

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली धाम)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली धाम)

हिमाचली धाम
Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली धाम)

सत सब्जियाँ ,मिट्ठा भत्त |
भानू बोटी, बोलदा ही मत |
मदरा, मूँगी, रैंटा बणदा |
माह, चणे कन्ने पलदा |


तीणी पर चरोटी रख |
छाबड़िया नै पाईता भत्त |
लट्टा पर रखी चरोटी |
भत्त निकलेया जियाँ मोती |

भत्ता ने डल्ला भरी ता |
हुण मदरा कन्ने पलदा रखी ता |
माह, चणे ,रैंटे कन्ने खट्टे जो तड़का |
बस बणाई सकदा भानू बड़का |
भुक्ख लगी ,होई तैयारी |
लोग चली पए सड़का सड़का |


पंदी बछाईयाँ पत्तर बंडी ते |
छाँदे सारेयां दे लग रखी ते |
मजे लाई सारेयां खादी |
धाम मजेदार लगदी सादी |


धाम ,तीणी पर चरोटिया च बणाणी |
सारेयां पंगती च बैठी नै खाणी |
परंपरा ए बड्डी पराणी |
ओ नी जाणदे जिना होटलाँ च खाणी |

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