हास्य व्यंग्य शायरी | Hasya Shyari (Moon Shyari)
Moon Shyari
1
चाँद चढ़ आया फलक पे, रात घिर आई है |
रोम रोम फड़क रहे, मस्ति सी छाई है |
दिल में जो है आज सब को सुनाइए |
बड़ी मुद्दतों के बाद ये शाम आई है |
2
चाँद कि चाँदनी में जगमगा उठा है ये समा,
मुम्किन नहीं था यह आप के बिना,
चारों तरफ से नजरें हटाकर यहाँ भी देखिए हुज़ूर|
जो आज है वो कल ना होगा समा |
3
फूल कि कलियाँ तोड़ता गया,
मिलेगी जीने कि वजह यह सोचकर,
मतलबी ये दुनियां, कुछ ना होगा खोकर,
ऱुक गई उँगलियाँ अंतिम कली पर,
जितनी भी जिन्दगी है, हँस के व्यतीत कर,
अंत में रोना ना पड़े नसीब पर |

