Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली धाम)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली धाम)

हिमाचली धाम
Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचली धाम)

सत सब्जियाँ ,मिट्ठा भत्त |
भानू बोटी, बोलदा ही मत |
मदरा, मूँगी, रैंटा बणदा |
माह, चणे कन्ने पलदा |


तीणी पर चरोटी रख |
छाबड़िया नै पाईता भत्त |
लट्टा पर रखी चरोटी |
भत्त निकलेया जियाँ मोती |

भत्ता ने डल्ला भरी ता |
हुण मदरा कन्ने पलदा रखी ता |
माह, चणे ,रैंटे कन्ने खट्टे जो तड़का |
बस बणाई सकदा भानू बड़का |
भुक्ख लगी ,होई तैयारी |
लोग चली पए सड़का सड़का |


पंदी बछाईयाँ पत्तर बंडी ते |
छाँदे सारेयां दे लग रखी ते |
मजे लाई सारेयां खादी |
धाम मजेदार लगदी सादी |


धाम ,तीणी पर चरोटिया च बणाणी |
सारेयां पंगती च बैठी नै खाणी |
परंपरा ए बड्डी पराणी |
ओ नी जाणदे जिना होटलाँ च खाणी |

Welcome Shayari | शायरी (स्वागतम शायरी)

Welcome Shayari | शायरी (स्वागतम शायरी)

Welcome Shayari | शायरी (स्वागतम शायरी)



1.

स्वागत है मेहमाँ,इस रंग भरी शाम में, 
फूल तो क्या है,दिल बिछाए हैं तेरी राह में, 
के तेरे लिए सजाई है महफिल, 
तेरे आने से जान आ गई, बिसरी सी चाह में |


2.

चाह थी इतनी सी, कि आप आएं ,
महफिल में मजा तुम्हीं से है, 
तुम्ही हो फूल खुशबू तुम्ही से है,


3.

शामें फुर्सत के मिले हैं, 
आओ कुछ बात करें|
शामें महफिल सजी है, 
आओ कुछ बात करें|
इन जुगनुओं कि टोली, 
बढ़ती रात की तरफ इशारा कर रही, 
टिमटिमाते तारों की छाँव है, 
आओ कुछ बात करें |

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1.    मून शायरी 

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (पराणा कन्ने नौआँ जमाना)

Himachali Kavita | हिमाचली कविता (पराणा कन्ने नौआँ जमाना)

पराणा कन्ने नौआँ जमाना
        Himachali Kavita | हिमाचली कविता (पराणा कन्ने नौआँ जमाना)

कल

खातरिया दा पाणी,
तेला दा घाणी, 
डलिया आला लूण,
लकड़िया दी दातुन, 
घट तड़के दी सब्जी खाणी, 
बुखारा च भी कम्मा दी ठाणी,
दस-दस बच्चे जणी नै भी, 
सौ बर्षे तक रैदी थी जवानी ||


हुण

आर ओ दा पाणी,फेरी भी बमारी ,
छाणेआ तेल है, खूना च कोलेस्ट्रोल है, 
आयोडीना आला नमक, रक्तचापा दा जनक, 
टुथपेस्टा दा दम, टुट्टा दे दंद,
चटपटे दी आदत, मोटापे जो दावत, 
दवाइयाँ इतनी सारी, फेरी भी बढ़दी जाँदी बमारी,
जवानिया च रोग, करी चल्लो भोग,

फेेरी कैजो विज्ञान खरा कहाँदा,
फेेरी कैजो विज्ञान खरा कहाँदा,

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