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हिन्दी मे सुंदर कवितायें | हिन्दी मे सुंदर कवितायें ( चिड़िया घर की)

 हिन्दी मे सुंदर कवितायें | हिन्दी मे सुंदर कवितायें ( चिड़िया घर की)


दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |


 चिड़िया घर की 


हिन्दी मे सुंदर कवितायें | हिन्दी मे सुंदर कवितायें ( चिड़िया घर की)

मैं भी बेटी हूं किसी की ,जो घर तेरे आई हूं
मिलेगा मान सम्मान ,तभी तेरे घर ब्याही हूं !!

 मां पिता ने किया दान ,कर्तव्य परायणता मेरा काम !
 मायके को पीछे छोड़,ससुराल को दूंगी सम्मान !!

सास हर बात बोले  मुझी से,मैं भी मन की उससे बोलूं !
 घर की बात रहे घर ही में, दूजे की दखलअंदाजी ना झेलूं !!

 घर के सब कष्ट हर लूंगी ,दोगे अगर पूरा सम्मान !
दूजे भी होंगे प्यारे आपको पर सबसे ऊपर मेरा मान !!

  उड़ गई चिड़िया तेरे घर की, अब हो गई दूजे घर की !
मैं भी चिड़िया किसी के घर की ,बना कर तो देखो अपने घर की !!

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Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (क्यों है बेचारा यह दिल)

Hindi Kavita | हिन्दी कविताएँ (क्यों है बेचारा यह दिल)

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |

क्यों है बेचारा यह दिल

अकेला है तू ,नहीं मिल रहा है कोई,
बस खुद को गुम पाया,जब नज़र दौड़ाई |

सब कोई खुश हैं ,मस्त है हर कोई,
उसे भी दुःखी पाया,जब उस ने नज़र झुकाई |

घर से लाई रोटियों को खा रहा था कोई,
पास गया तो पाईं उस की भी आँखें रोईं,

गम दबा रहा था कोई ,हँसी में,
कोई भुला रहा था गम ,बातें कर कर,
कोई चुप सा बैठा था कोने में,
तो किसी की गुजर रही थी सोने में |

बस यही है सफर यही है कहानी,
जिसे सुनोगे हर दूर जाने बाले कि जुवानी |


Hindi Kavita | हिन्दी कविता (बाप)

Hindi Kavita | हिन्दी कविता (बाप) 

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |

बाप 

Hindi Kavita | हिन्दी कविता (बाप)

बाप वह शब्द है, जिस का नहीं है सानी |
माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी ||


प्यारा बेटा माँ का, बाप नहीं दुलारता |
क्या इसी से तोल करोगे, बाप के उस प्यार का ||
क्या कहुँ मैं, क्या करूँ ,एैसे इस समाज का |
फर्क पड़ता है, बाप के साथ का ||


किसी ने नहीं कही, बाप कि कोई कहानी |
माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी ||


बॉर्डर पर रह के भी, चिट्ठियाँ वो लिखता था |
पढाई  का ध्यान रखना, हर वक्त वो कहता था ||
दो थप्पड़  प्यार से बच्चों को मार देना |
बाप तुमको याद करे, मेरा भी दुलार देना ||


तेरे संग रहने से, नहीं थी कोई हानी |
माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी ||


मेरे लिखे पेपरों को, देखता था पढ़ता था |
मेरे बच्चे सा कोई ना, तूने बस यही कहा था ||
डाँटता था मारता था, जोर से पुकारता था |
इसी से सुधरेगा, तू ये सब जानता था ||


बुरी जरूर लगती थी, तेरी वो कठोर वाणी |
बाप वह शब्द है, जिस का नहीं है सानी ||


जिस चीज़ कि चाह थी, उस ने सब ला के दिए |
एैनक नहीं ले सका वो अपनी आँखों के लिए ||
बाप बस जीता है ,अपनों के ही लिए |
पैसे नहीं खर्चे थे, हार्मोनियम के लिए ||


बाप कि महिमा लो सुनो मेरी जुबानी |
माँ तो खास है ही, बाप की सुनो कहानी ||

बाप है तो हर पल, पूरे होते सपने हैं |
बाजार में जो पड़े हैं, वो खिलौने अपने हैं ||
खुद भूखा रह के भी, खाना वो खिला ही देगा |
छुपा के आँसुओं को हमको हँसा ही देगा ||



जन्म देती है माँ, पालता पिता है |
माँ के सुहाग का अहंकार पिता है ||
पिता नहीं तो कुछ भी नहीं |
माँ के गहनों का अलंकार पिता है ||

अन्य कवितायें 


Hindi Kavita |कविताएँ (चालक)

Hindi Kavita |कविताएँ (चालक)

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |

चालक


सभी का सम्मान कर रहे, सभी की हो रही प्रसंशा |
चाहे डॉक्टर,पुलिस हो या हो नर्सों कि कार्यक्षमता ||

उन्हें तो किट मिले हैं, उन्हें मिले सबका साथ |
बिमारी से दूर रहें, इलाज में करें पूरा प्रयास ||
पुलिस भी आज खड़ी है, घेरी हुई है पूरी सीमा |
लॉकडाऊन का पालन करवा रहे बहाकर पसीना ||


चिंता नहीं है उन्हें अपनी, झेल रहे गद्दारों कि हिंसा |
चाहे डॉक्टर,पुलिस हो या हो नर्सों कि कार्यक्षमता ||


मैं भी घर से दूर हूँ ,दूर हूँ परिवार से |
पर मिले ना इज्जत इस पढ़े लिखे समाज से ||
मार भी झेल रहा, झेल रहा बिमारी का डर |
सारा सामान पहुँचा दूँगा, रहो अपने अपने घर ||


क्या आप को मेरा काम नहीं जमता |
सभी का सम्मान कर रहे, सभी की हो रही प्रसंशा |


ड्राइविंग सीट मेरा विस्तरा, कैबिन है मेरी रसोई |
बिमारी के चक्कर में,घर बालों से मिलने कि आस भी खोई || गाड़ी में डाल रखे किसी कि भूख, आशा और विश्वास |ड्राइवर हूँ मैं, शायद मैं भी हूँ खास ||


क्यों ,सही नहीं है मेरी कार्यक्षमता |
सभी का सम्मान कर रहे, सभी की हो रही प्रसंशा |

अन्य कवितायें 


Hindi Kavita |हिन्दी कविता (बिमारी )

Hindi Kavita |हिन्दी कविता (बिमारी )

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |


बिमारी 
Hindi Kavita |हिन्दी कविता (बिमारी )

हाय ये कैसी आई बिमारी |
बिस्तर पर सोए - सोए पीठ दु:ख गई सारी ||


कभी बराम्दे में कभी आँगन में |
कभी सोने में कभी जागन में ||
कभी कुर्सी पर कभी सोफे पर |
कभी बैंच पर कभी धरती पर ||


घड़ी कटती नहीं है सारी |
हाय ये कैसी आई बिमारी |
बिस्तर पर सोए - सोए पीठ दु:ख गई सारी ||


समार्टफोन से थक गए |
टीवी से भी पक गए ||
टाईम न गुजर |
सो सो के भी थक गए ||


घर पर रहना कितना है भारी |
हाय ये कैसी आई बिमारी |
बिस्तर पर सोए - सोए पीठ दु:ख गई सारी ||


घरवाली रहती मीटर दूर |
बच्चे भी रहें दूर दूर ||
रोटी भी दूर से ही खिलाई जाती |
बाहर जाने पर लट्ठ बजाती ||


दुनियां  बनी पड़ी है बेचारी |
हाय ये कैसी आई बिमारी |
बिस्तर पर सोए - सोए पीठ दु:ख गई सारी ||


घर भी रह लेंगे, भूख भी सह लेंगे |
दूर-दूर रहने का दुःख भी सह लेंगे ||
सरकार कि मदद करो, बिमारी से दूर रहेंगे |


हाय ये कैसी आई बिमारी |
बिस्तर पर सोए - सोए पीठ दु:ख गई सारी ||

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Hindi Kavita | हिन्दी कविता (दु:खी दिल)

Hindi Kavita | हिन्दी कविता (दु:खी दिल) 
Hindi Kavita | हिन्दी कविता   (दु:खी दिल)

दिक्खो यारो कदेही आई बमारी |
मंजे पर बैठे-बैठे पिट्ठ दु:खि गई  सारी ||


कदी बराँडे च, कदी अंगणे च, 
कदी सोणे च कदी जगणे च |
कदी कुर्सिया पर, कदी सोफे पर, 
कदी मंज्जे पर,कदी बिन्ने पर ||


घरें पए ने सारे नर नारी,
दिक्खो यारो कदेही आई बमारी |
मंजे पर बैठे-बैठे पिट्ठ दु:खि गई  सारी ||

समार्टफोने ते भी पक्की गए, 
टीविए दिखी-दिखी अक्की गए |
टैम गुजरी नी करदा, 
सोई -सोई भी थक्की गए ||


घरें रैहणा भी ए बड्डा ही भारी, 
दिक्खो यारो कदेही आई बमारी |
मंजे पर बैठे-बैठे पिट्ठ दु:खि गई  सारी ||


लाड़ी रैंहदी मीटर दूर, 
बच्चे भी रैंदे दूर-दूर |
रोटी भी मीटर दूरे ते सुटदी,
बार जाणेओ बोलदा ताँ सोठे नैं कुटदी ||


इनी बमारिएं दुनियाँ बणाइति बचारी, 
दिक्खो यारो कदेही आई बमारी |
मंजे पर बैठे-बैठे पिट्ठ दु:खि गई  सारी ||

घरें भी रही लैंगे, भुक्ख भी सही लैंगे |
दूर-दूर रैणे दा दु:ख भी सही लैंगे ||
दोस्तों सरकारा दी मदद करा, ताँ ही असे बमारिया ते दूर रैंगे ||

दिक्खो यारो कदेही आई बमारी |
मंजे पर बैठे-बैठे पिट्ठ दु:खि गई  सारी ||

अन्य कवितायें 



Hindi Kavita | हिन्दी कविता (मच्छर)

Hindi Kavita | हिन्दी कविता  (मच्छर)

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |


मच्छर

Hindi Kavita | हिन्दी कविता  (मच्छर)

क्या होगा श्रिष्टी का, सभी राक्षस एक साथ खड़े है |
करोना वाइरस से लड़ रहे, मच्छर भी तैयार पड़े हैं ||

अभी तक खाँसी, झींक और बुखार से डर था |
मच्छर इंतजार में पड़े, गर्मियों के पल का ||


क्या होगा श्रिष्टी का, सभी राक्षस एक साथ खड़े है |
करोना वाइरस से लड़ रहे, मच्छर भी तैयार पड़े हैं ||


लॉकडाऊन से करोना तो भाग सके है, पर मच्छर इस से भी परे हैं |चुम्बन कभी कभी ले जाते हैं, गालों को सहला जाते हैं ||

उन के चूसक यंत्र भी तैयार पड़े हैं |

क्या होगा श्रिष्टी का, सभी राक्षस एक साथ खड़े है |
करोना वाइरस से लड़ रहे, मच्छर भी तैयार पड़े हैं ||

अन्य कवितायें 


Hindi Kavita | कविताएँ (चक्रव्यूह)

Hindi Kavita | कविताएँ (चक्रव्यूह)

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |



चक्रव्यूह

भरत का देश, कहते हैं भारत इसे ,
हर मुसीबत से निकलने का दम रखता है |
जब भी चक्रव्यूह रचा जाता, यहाँ अर्जुन जनमता है ||

तुम्हारी क्या औकात मुश्किलों, जो हम से टकराओगी |
चाहे जितना जोर लगा लो, बापस घर जाओगी ||
जहाँ रावण है पनपता,वहीं राम भी पलता है |
जब भी चक्रव्यूह रचा जाता, यहाँ अर्जुन जनमता है ||
Hindi Kavita | कविताएँ (चक्रव्यूह)

शाखाएँ गर रहीं तो पत्ते भी आएंगे |
हैं दिन बुरे तो अच्छे भी आएँगे ||
रहो घर पर, दूरियाँ बनाए रखो |
छुपाने कि गलती से रोग ज्यादा पनपता है |
जब भी चक्रव्यूह रचा जाता, यहाँ अर्जुन जनमता है ||

अन्य कवितायें 


Hindi Kavita |कविताएँ (लॉकडाऊन)

Hindi Kavita |कविताएँ (लॉकडाऊन)

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |



लॉकडाऊन

Hindi Kavita |कविताएँ (लॉकडाऊन)

अब क्या हो गया, रहो जैसे रहते हो |
हम हैं सर्वश्रेष्ठ, सदा तुम कहते हो ||


कोई रोड़ पर ना निकले,घर पर रहे इस बार, 
वातावरण साफ हो रहा, हो रहा विनिर्माण |
नगर वालों को गाँव भाए, 
भाए पुरातन ज्ञान विज्ञान ||
बर्गर पिज्जा खाने वाले, खा रहे देसी पकवान |
हाय हैलो करने वाले, कर रहे प्रणाम ||


अब क्या हो गया, रहो जैसे रहते हो |
हम हैं सर्वश्रेष्ठ, सदा तुम कहते हो ||


जब हम मंत्र पढ़ते थे, घर में हवन करते थे ,
नाक, नाभी पर तेल लगाकर, हमेशा स्वस्थ रहते थे |
वे हमें अंधविश्वासी कह कर सदा हँसते रहते थे ||
नगरों में है प्रदूषण, यहाँ हर बात का खतरा है |
जब खतरे में पड़ता तो गाँव गाँव रटता है ||


अब क्या हो गया, रहो जैसे रहते हो |
हम हैं सर्वश्रेष्ठ, सदा तुम कहते हो ||


लॉकडाऊन हो या कर्फ्यू, इनके भी हैं फायदे, 
सौहार्द तो बढ़ाए ही, जनता को सिखाए कायदे |
हो प्रदूषण या प्रदर्शन, करना हो या परिवर्तन, 
मृत्यु का डर करवा सकता, सबका ही समर्थन ||


अब क्या हो गया, रहो जैसे रहते हो |
हम हैं सर्वश्रेष्ठ, सदा तुम कहते हो ||


वाह रे भगवान कैसी तूने चीज़ बनाई, 
प्रकृति का करो सम्मान, कैसे यह सीख सिखाई |
समझ जाता है सब इंसान ,
जब मृत्यु उसे देती है दिखाई ||

अन्य कवितायें 



Hindi Kavita | कविताएँ (संतुलन)

Hindi Kavita | कविताएँ (संतुलन)

दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |


संतुलन

Hindi Kavita | कविताएँ (संतुलन)


प्रकृति का संतुलन है, हर चीज़ पर पड़ेगा भारी |
करोना तो बस नाम है, मानव को लेनी होगी जिम्मेवारी ||

किसी देश ने कुछ किया, किया भक्ष्ण या तैयार किया |
नहीं पता, पर जो किया खिलवाड़ किया ||
गौरैया को मारा तो, टिड्डियों ने बर्बाद किया |
एशियन फ्लू, सारस और एच 7 एन 9 भी इन्हीं ने दिया ||

प्रकृति का संतुलन है, हर चीज़ पर पड़ेगा भारी |
करोना तो बस नाम है, मानव को लेनी होगी जिम्मेवारी ||

इतनी आपदाओं का जिम्मेदार, जानें क्यों कोई कदम नहीं उठाया |
कहीं दुनिया को कमज़ोर कर, खुद की खुशहाली से तो नहीं इस का नाता ||
ये करोना फैला कैसे, कौन इसका जिम्मेदार हुआ |
इतनी जानें चली गईं ,कौन गुनहगार हुआ ||

प्रकृति का संतुलन है, हर चीज़ पर पड़ेगा भारी |
करोना तो बस नाम है, मानव को लेनी होगी जिम्मेवारी ||

आदतें वो छोड़ दो, जो बढ़ा सकतीं हैं मुश्किल |
दूर से प्रणाम करो, योग करो हर दिन ||
जीवनशैली में बदलाव, न करो प्रकृति से खिलवाड़ |
रोग के आगे खड़े रहो, बन के लोहे कि दिवार ||

प्रकृति का संतुलन है, हर चीज़ पर पड़ेगा भारी |
करोना तो बस नाम है, मानव को लेनी होगी जिम्मेवारी ||



Hindi Kavita | कविताएँ (देश प्रेम कि कहानी )

 Hindi Kavita | कविताएँ  (देश प्रेम कि  कहानी )


दोस्तो सुरलहरी ,इस स्कंध में मैने कुछ हिन्दी कविताएँ लिखकर असली जीवन को प्रकट करने कि कोशिश की है |Hindi Poetry किसे अच्छी नहीं लगती |आज कि Hindi Poem उन महान लोगों को स्मर्पित है जो राम  को फिल्मी बता रहे हैं |

Hindi Kavita | कविताएँ  (देश प्रेम कि  कहानी )


 देश प्रेम कि  कहानी 


वतन का मैं सहारा हूँ , वतन मेरा सहारा है | वतन कि  इन जमीनों को जख्मों  से दुलारा है || कोई  जा के ये कह दे उन जमीनों के शैतानों  से | कदम रखा तो टकराओगे लोहे कि दीवारों से || 

वतन के वासते जीना , वतन के वासते मरना | हम ने बस ये सीखा है वतन पे जान फ़िदा करना || के रखोगे कदम अपने मेरी इन जमीनों पे। नहीं पाओगे सर अपने, इन नापाक कंधो पे || 


के माँ को भूल आये हैं , बहन को भूल आये हैं | वतन के वासते हम तो, सब कुछ छोड़ आये हैं || बस इतनी गुजारिस है, देश के नौनिहालों से | याद रखना हम को भी ,सुख भरे लम्हों में || 




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